शिमला. ‘हिमालयन पर्यटन सर्किट’ के लिए 100 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है. जिससे राज्य में पर्यटन से जुड़ी 14 परियोजनाओं को विकसित करने का मार्ग प्रशस्त हुआ है. यह जानकारी हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास बोर्ड की आज यहां 9वीं बैठक में दी गई. मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने बैठक की अध्यक्षता की.
सर्किट के अन्तर्गत कई परियोजनाएं चिन्हित की गई हैं. जिसमे क्यारीघाट में सैलानियों को सभी प्रकार की सुविधाओं से युक्त 25 करोड़ रुपये की लागत का सम्मेलन केन्द्र, संजौली-ढली वाईपास के समीप 7 करोड़ रुपये के हेलिपोर्ट का निर्माण कार्य, डल झील के सौंदर्यीकरण सहित कांगड़ा ‘विलेज हार्ट’ प्रत्येक के लिए चार करोड़ रुपये शामिल है.
इसके अलावा तीन करोड़ रुपये की लागत से मनाली में अन्तर्राष्ट्रीय मापदण्डों पर ‘निःशुल्क क्लाईबिंग-स्टेंडिंग वॉल तथा सौरव कालिया वन विहार के लिए 3 करोड़ रुपये का प्रावधान व शिमला के सुन्नी में जलक्रीड़ा सुविधाओं को विकसित करना शामिल है. शिमला के एक पहाड़ी पठार पर बनने वाले हेलीपैड में इंडोर व आउटडोर निर्गमन के अलावा निजी हेलिकाप्टरों के उतरने की सुविधा भी होगी.
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि रज्जू मार्गों के निर्माण के उपरांत हिमाचल प्रदेश धार्मिक तथा साहसिक पर्यटन के लिए वैश्विक स्तर का पसंदीदा पर्यटक होगा. उन्होंने कहा कि राज्य पर्यटन में नए आयाम जोड़े गए हैं. जो आने वाले समय में न केवल पर्यटन उद्योग की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करेंगे, बल्कि राज्य के लिए रोजगार व राजस्व सृजन के साधन भी होंगे.
बैठक में अवगत करवाया गया कि ‘बिल्ट-ऑपरेट-ट्रांसफर’ (बीओटी) आधार पर चार रज्जू मार्ग परियोजनाओं के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं. इन परियोजनाओं में 150 करोड़ रुपये की धर्मशाला-मैकेलोड़गंज, 289 करोड़ रुपये की आदी-हिमानी-चामुंडा, 340 करोड़ रुपये की पलचान-रोहतांग तथा लगभग 94 करोड़ रुपये की भुंतर-बिजली-महादेव शामिल हैं, जो राज्य में साहसिक तथा धार्मिक पर्यटन को प्रोत्साहित करेगी.
मुख्यमंत्री ने मण्डी के महामृत्युंजय मंदिर परिसर से होर्डिंग्स व पोस्टरों को हटाना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि पूर्व में अतिक्रमण को हटाया गया था और अब बड़े-बड़े पोस्टरों व होर्डिग्स से मंदिर परिसर घिरा हुआ है, जिन्हें तुरंत हटाने की आवश्यकता है.
वीरभद्र सिंह ने बेंटनी कैसल के पुनरूद्वार व नवीनीकरण की प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि पुराने भवन को राज्य के सभी जिलों का इतिहास व संस्कृति को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से संग्रहालय के लिए उपयोग में लाया जा सकता है.