स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार को लेकर सरकार के द्वारा किये गये वादे में और जमीनी हकीकत में काफी अंतर है. आज भी देश में स्वास्थ्य सेवाओं की हालात बहुत ख़राब है. इसी ख़राब व्यवस्था का शिकार हुई है ‘बीना’. 31 जुलाई को मध्य प्रदेश के कटनी जिले के बरमानी गाँव में बीना को एम्बुलेंस नहीं मिल पाने के कारण उसे डिलीवरी के लिए बीस किलोमीटर पैदल चलना पड़ा और उसके बाद भी वह अपने बच्चे को नहीं बचा पाई.
एम्बुलेंस नहीं मिलने पर ‘बीना’ के परिवार वालों ने गाँव से 20 किमी दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पैदल जाने का निर्णय लिया . पैदल चलते –चलते ‘बीना’ को लेबर पेन बढ़ने लगा और अस्पताल में जब डिलीवरी हुई तो वह बच्चे को नहीं बचा पाए.
इस ह्रदयविदारक घटना बाद ऐसा लगता है कि सरकारी योजनायें सिर्फ दिखावे के लिए बनी हुई है. जब इस घटना को लेकर सवाल किये गये तो सामुदायिक अस्पताल वाले ने कहा एम्बुलेंस वाले हमारी सुनते नहीं और वो हमारे अंदर नहीं आता है.
मध्य प्रदेश की सरकार ने प्रेग्नेंट महिलाओं की सुविधा के लिए ‘जननी एक्सप्रेस’ एम्बुलेंस सेवा चालू कर रखी है. अब यह सवाल उठता है कि यह सुविधा का अगर कोई लाभ लेना चाहे तो वह कैसे ले पायेगा. क्या सूचनाओं के कमी कारण जनता को ऐसे ही भटकना पड़ेगा और लोग अपनी जान ऐसे ही गंवाते रहेंगे. आखिर इस घटना का दोषी कौन है, या सरकार के योजनाओं की गांवों तक पहुँच नहीं है. अगर ऐसा नहीं है तो आजादी के सत्तर साल भी सरकारें विकास करने ने नाकामयाब साबित हुई है.
वहीं, यह ऐसी कोई पहले घटना नहीं है जिसके साथ ऐसा हुआ. देश के हर राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों की ज्यादातर ऐसी ही हालत है. कोई अपने परिवार की लाश कंधे ढ़ोकर पहुंच रहा है तो कोई साइकिल पर.