शिमला. 2022 के अंत में प्रस्तावित हिमाचल विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश कांग्रेस में नेताओं का दल को छोड़ने का सिलसिला लगातार जारी है. हिमाचल की राजनीति के चाणक्य के नाम से मशहूर रहे दिवंगत पंडित सुखराम के पोते आश्रय शर्मा ने भी शुक्रवार को कांग्रेस से किनारा कर लिया है. शुक्रवार को आश्रय ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफा पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेज दिया.
2019 में वीरभद्र परिवार की वजह से हारी कांग्रेस
इस्तीफा देने के बाद आश्रय शर्मा ने मंडी में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि उन्होंने 2019 में मंडी संसदीय क्षेत्र से विपरीत परिस्थितियों में चुनाव लड़ा. कौल सिंह ठाकुर और सांसद रहीं प्रतिभा सिंह ने चुनाव से किनारा कर लिया. ऐसे में पार्टी आलाकमान के कहने पर मेरे दादा ने अपनी इच्छा अनुसार वीरभद्र सिंह से सुलह कर मुझे चुनाव में उतारा. कुछ शर्तें मनवाने के बाद स्वर्गीय वीरभद्र प्रचार में उतरे, लेकिन वे जनसभाओं में यह कहते रहे कि सुखराम को मैं कभी माफ नहीं करूंगा. बाकी समझदार को इशारा ही काफी है. उस समय मुझे लगा कि मेरे साथ विश्वासघात हुआ है. मैं उन्हें दोष नहीं देता. उस वक्त पता नहीं उनकी क्या मजबूरी रही होगी. अगर विक्रमादित्य उस समय मेरी जगह लड़ते तो हमारा परिवार कभी ऐसा न करता. अगर उस समय (2019 में) कांग्रेस एकजुटता से चुनाव लड़ती तो हार का मार्जिन कम होता. पं. सुखराम का पोता होने की वजह से मेरे खिलाफ यह साजिश रची गई.
जयराम ठाकुर का सदैव ऋणी रहूंगा
कांग्रेस को छोड़ने के बाद आश्रय शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने एक ईमानदार मुख्यमंत्री की छवि बनाई है. मुख्यमंत्री ने पं. सुखराम के लिए अपना हेलिकाप्टर उपलब्ध करवाया और स्वयं सड़क मार्ग से अपने विधानसभा क्षेत्र में गए. इसके लिए मैं सदा उनका ऋणी रहूंगा. आश्रय शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री की कुर्सी महालक्ष्मी की तरह है, जो मंडी को मिली है. अब कई सालों तक मंडी से इसे जाने नहीं देना है.