नई दिल्ली. 14 नवम्बर से प्रगति मैदान में आयोजित किए जा रहे 41वें भारतीयअन्तराष्ट्रीय व्यापर मेले में पांच दिन बिजनेस डे (Business Day) के बाद शनिवार से आम लोगों को भी प्रवेश मिलना शुरू हो गया है. सप्ताहांत होने के चलते भारी तादात में लोगों के आने की सम्भावना जताई जा रही है. इसे लेकर भारतीय व्यापर संवर्धन संगठन की ओर से सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं. शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने केरल पवेलियन का दौरा किया. देशभर के विभिन्न राज्यों और करीब सभी जिलों से आए देशी सामान मेले में बेहद खास हैं.
शाम साढ़े छह बजे तक प्रवेश
अन्तराष्ट्रीय व्यापर मेले का शुभारंभ 14 नवम्बर से हुआ था. आम लोग शानिवार से लेकर 27 नवम्बर तक मेला घूम सकेंगे. मेले के लिए लोगों को प्रवेश सुबह दस बजे से शाम छह बजे तक मिलेगा. गेट नंबर चार और 10 से एंट्री मिलेगी. वहीं आखिरी दिन 27 नवम्बर को शाम को 4.30 बजे एंट्री बंद कर दी जाएगी.
वरिष्ठ नागरिकों के लिए निशुल्क प्रवेश
मेले में वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यंगों को सभी दिन प्रवेश निशुल्क रहेगा. उसके लिए मान्य सरकारी आईडी का होना जरूरी है. साथ आने वालों का टिकट लेना होगा.
मध्यप्रदेश दिवस पर रंगारंग कार्यक्रम
शुक्रवार को मेले में मध्य प्रदेश दिवस था. इस दौरान एंफीथियेटर में दोपहर से लेकर देर शाम तक रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. मध्य प्रदेश से आए लोक कलाकारों ने लोक गीत, संगीत व नृत्य की अनूठी प्रस्तुति की. दोपहर से ही एंफीथियेटर दर्शकों से भरा हुआ था, जिसके कारण यहां खड़े होने की जगह नहीं थी. शनिवार को भी केरल दिवस के मौके पर यहां अनेक मनमोहक गीत, संगीत व नृत्य देखने को मिलेंगे. बगल में अनेक राज्यों के अलग-अलग खाने पीने के स्टॉल भी लगाए गए हैं.
पवेलियन की सोजनी शॉल बनी ट्रेड फेयर की रौनक
जम्मू कश्मीर की परंपरागत 600 साल पुरानी सोजनी शॉल ट्रेड फेयर की रौनक बनी हुई है. जम्मू कश्मीर पवेलियन में इसे देखा जा सकता है. सैकड़ों साल पहले एक फकीर के साथ इस डिजाइन की शॉल ईरान से कश्मीर पहुंची थी. अब यह खास डिजाइन वाली शॉल कश्मीर के सनया गांव की पहचान बनी है. मौजूदा समय में इस गांव के करीब 350 लोग शॉल बनाने का काम करते हैं. शॉल बनाने वाले बडगाम जिले के बशीर अहमद भट्ट को उनके उत्कृष्ट काम के लिए राष्ट्रीय शिल्प गुरु और राष्ट्रीय कला सम्मान मिल चुके हैं.
प्रगति मैदान में हॉल की ऊपरी मंजिल पर स्थित जम्मू कश्मीर पवेलियन में सोजनी शॉल उपलब्ध है. इसका कपड़ा पश्मीना ऊन का होता है और इसपर हाथों से कढ़ाई का काम कश्मीरी सिल्क से किया जाता है. एक शॉल को बनाने में कम से कम तीन महीने का वक्त लगता है.
50 हजार से 7 लाख रुपये तक कीमत
सोजनी शॉल अब तक 50 हजार से लेकर सात लाख तक बिकी है. छोटे-बड़े बॉर्डर और शॉल पर हुई कढ़ाई के मुताबिक इसकी कीमत तय होती है. बशीर अहमद भट्ट 45 साल से सोजनी शॉल बना रहे हैं. मौजूदा समय जिस शॉल पर वह काम कर रहे हैं, उसे बनाते तीन साल बीत गए हैं.