शिमला. हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) सरकार एक के बाद एक फैसले लेकर लगातार सुर्खियों में बनी हुई है.
क्या है ने आदेशों में?
मंगलवार देर रात आए आदेशों में सरकार ने 1 अप्रैल 2022 के बाद शुरू किए गए स्वास्थ्य संस्थानों (Health Institutions) को बंद करने का फैसला लिया है. प्रधान सचिव स्वास्थ्य सुभाशीष पांडा की ओर से यह आदेश जारी किए गए हैं.
इसके अलावा 1 अप्रैल के बाद अपग्रेड किए गए स्वास्थ्य संस्थान का फैसला भी रद्द किया गया है. इससे पहले सरकार ने बिजली बोर्ड के 32 कार्यालय डिनोटिफाई कर दिए थे. इसमें बिजली बोर्ड के 12 मंडल, 17 उपमंडल और तीन ऑपरेशन सर्किल शामिल हैं.
पूर्व की जयराम सरकार के दौरान 8 महीने की इस अवधि में 25 से ज्यादा स्वास्थ्य संस्थानों को अपग्रेड किया गया था. कुछ स्वास्थ्य उपकेंद्र और पीएचसी नए खोले गए थे. इसमें 8 से ज्यादा संस्थान सीएचसी के रूप में अपग्रेड किए गए थे, लेकिन इन सभी को अब बंद कर दिया गया है. अब अस्पताल हो चाहे, स्वास्थ्य उपकेंद्र, सभी अब पूर्व की स्थिति में ही काम करेंगे. इन्हें अपग्रेड करने के लिए कोई नई भर्तियां भी नहीं की गई थीं. इसलिए स्टाफ को युक्तिकरण के जरिए पूर्व की स्थिति में ही इस्तेमाल किया जाएगा.
बदले की भावना से हो रही कार्रवाई- बीजेपी
कांग्रेस सरकार ने जिन बिजली कार्यालयों को डिनोटिफाई करने का फैसला लिया है उनमें ज्यादातर पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह और राकेश पठानिया की गृह विधानसभा के कार्यालय हैं. इन कार्यालयों में तैनात अफसरों को साथ लगते कार्यालयों में भेज दिया गया है. मौजूदा सरकार इसे पूर्व की सरकार का चुनाव के मद्देनजर लिया गया फैसला बता रही है. जबकि बीजेपी ने इसे बदले की भावना की कार्रवाई करार दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और भारतीय जनता पार्टी इस फैसले को बदले की कार्रवाई बताते हुए कोर्ट जाने की चेतावनी दे चुके हैं. इसलिए यह लड़ाई अब लंबी जाने वाली है.
1 अप्रैल के बाद के फैसले हो रहे रिव्यू
मुख्यमंत्री सुक्खू हिमाचल प्रदेश की सत्ता पर काबिज होते ही 1 अप्रैल 2022 के बाद लिए गए फैसलों को रिव्यू करने का आदेश दिया है. इसके पीछे सरकार का तर्क है कि पूर्व सरकार ने आखिरी छह महीनों में लिए फैसले चुनाव में फायदा लेने के लिए लिए हैं. सरकार अब तक कई अफसरों को दी गई एक्सटेंशन को भी रद्द कर चुकी है. इसके अलावा कई कार्यालय भी बंद किए जा चुके हैं. बीजेपी लगातार इसका विरोध कर रही है. हिमाचल प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल बीजेपी ने मामले को कोर्ट तक ले जाने की बात भी कही है.