शिमला: हिमाचल प्रदेश में देश का पहला क्लीन प्लांट सेंटर स्थापित होगा, जहां वायरस रहित सेब समेत अन्य फलदार पौधे तैयार होंगे. इससे बागवानों को अमेरिका और इटली जैसे देशों से महंगे पौधे आयात नहीं करने पड़ेंगे. सेंटर कहां स्थापित होगा, अभी यह तय नहीं है. सेंटर बनने से जहां बागवानों को उच्च गुणवत्ता वाले वायरस मुक्त पौधे आयातित पौधों की तुलना में 4 गुना तक सस्ते मिलेंगे, वहीं पौधों को क्वारंटाइन करने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी.
वायरस रहित सेब समेत अन्य पौधे तैयार होंगे
जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के बागवानों को भी पौधे सस्ते मिलेंगे. केंद्र सरकार के क्लीन प्लांट प्रोग्राम ऑफ इंडिया के तहत एशियन डेवलपमेंट बैंक के सहयोग से इस केंद्र को स्थापित करने की तैयारी है. देश में 10 केंद्र स्थापित किए जाने हैं, जिन पर करीब 2,000 करोड़ खर्च होंगे. इस योजना के अध्ययन के लिए शनिवार को 12 सदस्यीय दल आस्ट्रेलिया रवाना हुआ.
पौधों की यह होगी खासियत
- कम जगह में लग पाएंगे अधिक पौधे
- सामान्य के मुकाबले जल्दी लगेंगे फल
- अंतरराष्ट्रीय स्तर की होगी फलों की गुणवत्ता
- वायरस मुक्त होने से बीमारियों का खतरा नहीं
कृषि मंत्रालय, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, एडीबी के प्रतिनिधियों के साथ प्रदेश के बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी, मुख्य संसदीय सचिव मोहन लाल ब्राक्टा, उद्यान विभाग के निदेशक संदीप कदम, विषय विशेषज्ञ उद्यान डॉ. शकुन राणा, उद्यान विकास अधिकारी डॉ. रमल कुमार सहित अन्य अधिकारियों का यह दल मेलबर्न और सिडनी के बागवानी विश्वविद्यालय और अनुसंधान केंद्रों का दौरा कर क्लीन प्लांट सेंटर स्थापित करने के लिए जरूरी जानकारी हासिल करेगा.
मुख्य संसदीय सचिव ब्राक्टा ने बताया कि बागवानी को लेकर बनाए जा रहे विजन डॉक्यूमेंट के लिए यह दौरा बेहद अहम रहेगा. उद्यान मंत्री जगत सिंह नेगी ने बताया कि आस्ट्रेलिया जा रहे दल में प्रोजेक्ट को मंजूरी देने वाले, बजट उपलब्ध करवाने वाले, प्रोजेक्ट स्थापित करने और संचालित करने वाले सभी लोग शामिल हैं.
प्रदेश में हर साल आयात होते हैं एक करोड़ पौधे
प्रदेश के बागवान हर साल करीब एक करोड़ सेब के पौधे आयात करते हैं. बागवान 700 से 800 रुपये प्रति पौधा कीमत चुकाते हैं. क्लीन प्लांट सेंटर स्थापित होने के बाद एक पौधा 150 से 200 रुपये में मिलेगा.