नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर को 16वें वित्त आयोग (16th Finance Commission) में अंशकालिक सदस्य (Part-Time Member) के रूप में नियुक्त किया गया है। यह घोषणा वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) ने 7 जून को की। उनकी नियुक्ति पूर्व वित्त सचिव अजय नारायण झा के स्थान पर हुई है, जिन्होंने व्यक्तिगत कारणों से आयोग से इस्तीफा दे दिया था।
कार्यकाल और जिम्मेदारी
सरकारी बयान के अनुसार, टी रबी शंकर कार्यभार ग्रहण की तिथि से लेकर 31 अक्टूबर 2025 तक या आयोग की रिपोर्ट प्रस्तुत होने तक, जो भी पहले हो, Part-Time Member के तौर पर कार्य करेंगे।
16वें वित्त आयोग का गठन दिसंबर 2023 में किया गया था, जिसकी अध्यक्षता नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया कर रहे हैं। आयोग में पूर्णकालिक सदस्य के रूप में एनी जॉर्ज मैथ्यू और अर्थशास्त्री मनोज पांडा शामिल हैं, जबकि SBI Chief Economist सौम्य कांति घोष पहले से ही एक अंशकालिक सदस्य के रूप में कार्यरत हैं।
आयोग की भूमिका और उद्देश्य
Finance Commission भारत के संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत गठित एक संवैधानिक निकाय (Constitutional Body) है। इसका मुख्य कार्य है:केंद्र और राज्यों के बीच करों के बंटवारे (Tax Devolution) की सिफारिश करना,राज्यों की वित्तीय स्थिति को मज़बूत करने के उपाय सुझाना, और Disaster Management Fund के लिए राजकोषीय व्यवस्था का मूल्यांकन करना। आयोग को अपनी सिफारिशें 1 अप्रैल 2026 से शुरू होने वाले पांच वर्षीय चक्र के लिए देनी होंगी।
टी रबी शंकर का अनुभव क्यों है महत्वपूर्ण?
टी रबी शंकर 1990 में RBI से जुड़े और उन्होंने Central Banking, Digital Currency, Fintech, Payment Systems और Risk Monitoring जैसे अहम क्षेत्रों में लंबा अनुभव हासिल किया है।
RBI में डिप्टी गवर्नर के रूप में, वह FinTech Department, Financial Market Operations और Financial Market Regulation जैसे विभागों की निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने Central Bank Digital Currency (CBDC) के विकास और लॉन्च में भी प्रमुख भूमिका निभाई है।
अप्रैल 2025 में कैबिनेट की नियुक्ति समिति (Appointments Committee of Cabinet – ACC) ने उन्हें एक वर्ष के लिए RBI Deputy Governor के रूप में फिर से नियुक्त किया था।
क्यों अहम है यह नियुक्ति?
पूर्व सदस्य अजय नारायण झा के इस्तीफे के बाद टी रबी शंकर की नियुक्ति से आयोग को Institutional Expertise और Digital Finance और Monetary Policy की गहरी समझ का लाभ मिलेगा।
आयोग को देश में Fiscal Federalism को मज़बूत करने के साथ-साथ States के बीच राजस्व वितरण की पारदर्शिता और समानता सुनिश्चित करनी है।