नई दिल्ली. Israel-Iran tensions के बीच बढ़ती वैश्विक अस्थिरता के बीच, भारत के Petroleum and Natural Gas Minister हरदीप सिंह पुरी ने स्पष्ट किया है कि देश अपनी energy security और ईंधन आपूर्ति के लिए पूरी तरह तैयार है।
भारत की तैयारियां और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व
पेट्रोलियम मंत्री ने सोमवार को पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों और सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों (IOCL, HPCL, BPCL) के प्रमुखों के साथ समीक्षा बैठक की। उन्होंने कहा कि भारत की वैश्विक तेल आपूर्ति श्रृंखला में विविधता के चलते भारत किसी भी संभावित व्यवधान को संभालने की comfortable position में है। यह रणनीति प्रधानमंत्री Narendra Modi के नेतृत्व और सरकार की energy diversification नीति का परिणाम है।
घरेलू तेल और गैस अन्वेषण में प्रगति
पुरी ने घरेलू ऊर्जा संसाधनों के अन्वेषण, विशेषकर अपतटीय क्षेत्रों में वृद्धि पर भी जोर दिया। अंडमान क्षेत्र में हाल के खोज प्रयासों को भारत के लिए एक बड़ा अवसर बताया गया है, जिसे मंत्री ने “Guyana moment” भी कहा है। भारत के 3.5 मिलियन वर्ग किलोमीटर तलछटी बेसिन का अब तक केवल 8% हिस्सा ही खोजा गया है। नए क्षेत्रों को अन्वेषण के लिए खोलने से Open Acreage Licensing Policy के तहत बोलियों में बढ़ोतरी हुई है। ONGC ने इस साल सबसे अधिक कुएँ खोदे हैं। हालांकि अपतटीय ड्रिलिंग की लागत अधिक होने की चुनौती बनी हुई है, फिर भी प्रयास तेज हैं।
इजराइल-ईरान विवाद का भारत के लिए क्या मतलब?
भारत के लिए इजराइल और ईरान दोनों महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार हैं। वित्त वर्ष 2025 में भारत ने: ईरान को $1.24 बिलियन का निर्यात और $441.9 मिलियन का आयात किया। इजराइल के साथ $2.15 बिलियन का निर्यात और $1.61 बिलियन का आयात हुआ।इस क्षेत्र की अस्थिरता से शिपिंग लेन और तेल की कीमतों पर असर पड़ सकता है, लेकिन फिलहाल भारत को किसी बड़े झटके का सामना नहीं करना पड़ रहा है।
सुरक्षा और सतर्कता बरतने की अपील
उत्तरदायित्वपूर्ण यात्रा और व्यापार के लिए मंत्री ने सभी संबंधित पक्षों से सतर्कता बरतने और स्थिति पर लगातार नजर रखने का आह्वान किया है।