नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच चल रहे trade tariff विवाद और प्रस्तावित Bilateral Trade Agreement (BTA) को लेकर एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। भारत का Commerce Ministry Delegation जल्द ही अमेरिका की राजधानी Washington D.C. का दौरा करेगा, जहां दोनों देशों के बीच interim trade deal और Phase-1 Agreement को लेकर बातचीत का नया दौर शुरू होगा।
यह दौरा ऐसे वक्त पर हो रहा है जब अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर extra import duties की छूट को 1 अगस्त 2025 तक के लिए बढ़ा दिया है। हालांकि, यह छूट Donald Trump की tariff policy के तहत दी गई है, और समयसीमा नजदीक आने के चलते इस पर तेजी से काम किया जा रहा है।
ट्रेड डील के पहले चरण को सितंबर-अक्टूबर तक पूरा करने का लक्ष्य
Special Secretary (Commerce) और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते के मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल ने कहा है कि भारत इस साल के September-October 2025 तक Phase-1 Trade Agreement को अंतिम रूप देना चाहता है। उससे पहले एक interim trade pact लाने की कोशिश हो रही है।
राजेश अग्रवाल ने बताया कि हमने यूके के साथ Free Trade Agreement (FTA) किया है, और अब USA, European Union, Chile, Peru और New Zealand जैसे प्रमुख बाजारों के साथ economic integration के प्रयास कर रहे हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत अब तक 26 देशों के साथ 14 से अधिक Free Trade Agreements लागू कर चुका है।
पिछले दौर की बातचीत वाशिंगटन में हुई थी
इस महीने की शुरुआत में ही भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने वाशिंगटन में अमेरिका के साथ पिछले दौर की बातचीत पूरी की थी। अब आगामी चर्चा में भारत की ओर से labour-intensive sectors जैसे textile exports, electronics, और agro-products को अमेरिकी बाजार में अधिक पहुंच दिलाने की कोशिश की जाएगी। वहीं, अमेरिका की मांग genetically modified crops (GM crops) और dairy & poultry exports को भारत में प्रवेश दिलाने की है।
क्या हैं प्रमुख चुनौतियाँ?
अमेरिका GM फसलों और डेयरी उत्पादों को भारतीय बाजार में भेजना चाहता है, जिस पर भारत में regulatory concerns हैं। भारत चाहता है कि tariff relaxation के साथ-साथ उसके MSME सेक्टर्स को अमेरिकी मार्केट में प्रवेश मिले। अमेरिका IPR (Intellectual Property Rights) और digital services को लेकर भी सख्त रुख अपना सकता है।