नई दिल्ली. छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले (Chhattisgarh Liquor Scam) की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate – ED) ने एक बड़ा कदम उठाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी भिलाई स्थित उनके आवास पर हुई छापेमारी के बाद की गई। रायपुर की अदालत ने चैतन्य को पांच दिनों की ED हिरासत में भेज दिया है।
चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी उनके जन्मदिन के दिन हुई, जो ED को मिले ताज़ा सुरागों के बाद हुई जांच का हिस्सा है। यह जांच 2019 से 2022 के बीच कांग्रेस सरकार के शासनकाल के दौरान छत्तीसगढ़ में शराब की बिक्री और वितरण में कथित अनियमितताओं को लेकर चल रही है। इसमें सरकारी अधिकारियों, व्यापारियों और राजनीतिक हस्तियों का एक बड़ा नेटवर्क शामिल है।
छापेमारी और जांच में हुआ बड़ा खुलासा
सुबह लगभग 6 बजे, ED के अधिकारी CRPF जवानों के साथ चैतन्य बघेल के घर पहुंचे और तलाशी अभियान चलाया। यह कार्रवाई मार्च 2025 में दुर्ग जिले के 14 ठिकानों पर की गई छापेमारी के बाद हुई, जिसमें चैतन्य और शराब कारोबारी लक्ष्मी नारायण बंसल (पप्पू बंसल) से जुड़ी संपत्तियाँ शामिल थीं। उस जांच में बड़ी मात्रा में नकदी बरामद की गई थी, साथ ही नोट गिनने वाली मशीनें भी मिली थीं, जो वित्तीय गड़बड़ी के संकेत हैं।
2,161 करोड़ रुपये का नुकसान और आर्थिक भ्रष्टाचार
ED के अनुसार, इस घोटाले से छत्तीसगढ़ के सरकारी खजाने को 2,161 करोड़ रुपये से अधिक का आर्थिक नुकसान हुआ है। आरोप है कि छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड (CSMCL) के माध्यम से अवैध सिंडिकेट ने शराब निर्माताओं से रिश्वत लेकर बाजार में हिस्सेदारी उपलब्ध कराई। सरकारी दुकानों से देशी शराब की अवैध बिक्री, विदेशी शराब के लिए FL-10A लाइसेंस में गड़बड़ी, और कार्टेल जैसी मार्केटिंग रणनीतियों का इस्तेमाल कर भारी पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग की गई।
राजनीतिक प्रभाव और जांच के प्रमुख नाम
ED ने इस मामले में कई हाई-प्रोफाइल व्यक्तियों को नामजद किया है, जिनमें अनवर ढेबर और पूर्व नौकरशाह अनिल टुटेजा शामिल हैं। साथ ही, पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा पर भी आरोप हैं कि वे नियमित रिश्वत लेते थे। अब तक इस जांच में 205 करोड़ रुपये की संपत्तियाँ जब्त की जा चुकी हैं।
कांग्रेस ने इस गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करते हुए इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई करार दिया है। पार्टी का दावा है कि केंद्र की भाजपा सरकार विपक्षी नेताओं को चुनावों से पहले निशाना बनाने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।
चुनावी माहौल में बढ़ती राजनीतिक हलचल
इस गिरफ्तारी और जांच के चलते छत्तीसगढ़ का राजनीतिक परिदृश्य गर्माता जा रहा है। आगामी विधानसभा चुनाव से पहले इस मामले ने तूल पकड़ लिया है, जिससे राजनीतिक पार्टियों के बीच प्रतिस्पर्धा और भी तीव्र हो गई है। ईडी की कार्रवाई और कांग्रेस के विरोध के बीच यह मामला राज्य की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बन चुका है।