नई दिल्ली. केरल के राजनीतिक इतिहास के महानायक और मार्क्सवादी नेता वी.एस. अच्युतानंदन का निधन 101 वर्ष की उम्र में हो गया। माकपा के राज्य सचिव एमवी गोविंदन ने सोमवार को इसकी पुष्टि की। अच्युतानंदन का निधन तिरुवनंतपुरम के एक निजी अस्पताल में हुआ, जहां वे करीब एक महीने तक इलाजरत थे, हृदय गति रुकने के कारण उनका निधन हुआ।
VS Achuthanandan: एक जनसेवक और वामपंथी आदर्शों का प्रतीक
वीएस अच्युतानंदन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के एक संस्थापक सदस्य थे, जिन्होंने जीवनभर workers’ rights, भूमि सुधार (land reforms) और सामाजिक न्याय (social justice) के लिए संघर्ष किया। वे 2006 से 2011 तक केरल के मुख्यमंत्री (Kerala Chief Minister) रहे और अपने लंबी राजनीतिक यात्रा में सात बार केरल विधानसभा (Kerala Assembly) के सदस्य चुने गए। उनका नाम वामपंथी विचारधारा के मजबूत समर्थकों में गिना जाता है, जिन्होंने जनता की सेवा के लिए हमेशा अपना समर्पण दिखाया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया शोक: “A Dedicated Public Servant”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने अच्युतानंदन के निधन पर गहरा दुख जताते हुए उन्हें एक समर्पित जनसेवक बताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट किया, “मुझे हमारी बातचीत याद है जब हम दोनों मुख्यमंत्री थे। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और समर्थकों के साथ हैं।”
VS Achuthanandan का राजनीतिक सफर
अच्युतानंदन ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1938 में राज्य कांग्रेस में शामिल होकर की और 1940 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के सदस्य बने। उन्होंने 1970 के दशक में केरल में भूमि सुधार आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें 1967 में EMS Namboodiripad की सरकार द्वारा लागू किए गए भूमि सुधार अधिनियम को लागू कराने की मांग प्रमुख थी।
वे सामंती व्यवस्था (feudalism) और सामाजिक असमानता के सख्त विरोधी थे। अपनी कार्यशैली और जनसेवा के कारण उन्होंने विपक्ष के नेता (Leader of Opposition) के रूप में व्यापक जनसमर्थन प्राप्त किया।
संघर्ष और समर्पण: जेल और भूमिगत जीवन का अनुभव
अच्युतानंदन ने अपने राजनीतिक जीवन में कई बार जेल की सजा भी भोगी और कई वर्ष भूमिगत रहकर आंदोलन चलाया। 1957 में वे केरल में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिवालय के सदस्य बने। 1964 में उन्होंने उन 32 नेताओं में से एक के रूप में माकपा (CPI-M) के गठन में भूमिका निभाई, जिन्होंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से अलग होकर नया दल बनाया।
मुख्यमंत्री के बाद के योगदान: Administrative Reforms and Beyond
2016 से 2021 तक अच्युतानंदन ने केरल प्रशासनिक सुधार आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया, जहां उन्होंने राज्य में प्रशासनिक सुधारों पर महत्वपूर्ण काम किया। उनके नेतृत्व में आयोग ने सरकारी तंत्र को अधिक पारदर्शी और जनसहयोगी बनाने की दिशा में कदम उठाए।
VS Achuthanandan का भारतीय राजनीति में अमिट योगदान
वीएस अच्युतानंदन केरल और देश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व थे, जिनका जीवन संघर्ष, सेवा और आदर्शों के प्रति समर्पण का प्रेरक उदाहरण है। उनका निधन वामपंथी राजनीति और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में एक युग के अंत जैसा है।