नई दिल्ली. भारतीय चुनाव आयोग (ECI) आज (6 अक्टूबर) शाम 4 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार विधानसभा चुनाव का कार्यक्रम घोषित करेगा। यह घोषणा आयोग द्वारा राज्य में चुनावी तैयारियों की दो दिन की समीक्षा के बाद की जा रही है, जिसमें राजनीतिक दलों और प्रवर्तन एजेंसियों के साथ बैठकें कर स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने पर चर्चा हुई।
ध्यान देने योग्य है कि 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है।
आगामी चुनाव में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) — जिसका नेतृत्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कर रहे हैं — और राजद नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन के बीच होने की संभावना है।
2020 विधानसभा चुनाव में क्या हुआ था?
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव तीन चरणों में संपन्न हुए थे। मौजूदा 243 सदस्यीय विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त होने वाला है।
चुनाव के बाद एनडीए (NDA) ने सरकार बनाई थी और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने थे।
बाद में, अगस्त 2022 में, नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू (JD-U) ने एनडीए से नाता तोड़ लिया और राजद (RJD) के नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ सरकार बनाई।
फिर जनवरी 2024 में, नीतीश कुमार ने राजद गठबंधन से अलग होकर दोबारा भाजपा (BJP) के नेतृत्व वाले एनडीए के साथ सरकार बना ली।
राजनीतिक दलों की मांग — “छठ पर्व के बाद ही कराए जाएं चुनाव”
चुनाव आयोग ने राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों जैसे — आप, बसपा, भाजपा, सीपीएम, कांग्रेस, एनपीपी, सीपीआई(एमएल), जेडीयू, लोजपा, राजद और आरएलजेपी — के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। इन दलों ने मतदाताओं की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सुझाव दिए।
अधिकांश दलों ने आयोग से आग्रह किया कि चुनाव छठ पर्व के तुरंत बाद कराए जाएं, क्योंकि उस समय बड़ी संख्या में प्रवासी बिहारी अपने घर लौटते हैं, जिससे मतदान प्रतिशत बढ़ सकता है।
मतदाता सूची “शुद्ध” हुई 22 साल बाद
रविवार को मुख्य चुनाव आयुक्त ग्यानेश कुमार ने कहा कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के तहत 22 साल बाद मतदाता सूची को “शुद्ध” किया गया है। उन्होंने बताया कि आगामी विधानसभा चुनावों के लिए कई नई पहलें की जा रही हैं, जिन्हें आगे देशभर के चुनावों में भी लागू किया जाएगा।
सीईसी ने बताया कि 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में 38 सीटें अनुसूचित जाति (SC) और 2 सीटें अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित हैं, और इन सीटों पर भी पारदर्शी और समावेशी मतदान की दिशा में नए प्रयोग किए जा रहे हैं।