नई दिल्ली: आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री ने उन्हें भारत के सबसे निडर और संवेदनशील नेता के रूप में याद किया, जिन्होंने लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के लिए जीवन समर्पित किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकनायक जेपी ने अपने जीवन का उद्देश्य सामान्य नागरिकों को सशक्त बनाना और संविधानिक मूल्यों को मजबूत करना रखा। उनका संपूर्ण क्रांति का आह्वान एक ऐसे सामाजिक आंदोलन का रूप लिया, जिसने समानता, नैतिकता और सुशासन पर आधारित भारत की कल्पना को जन-जन तक पहुंचाया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जेपी के नेतृत्व में हुए कई आंदोलन, विशेष रूप से बिहार और गुजरात में, ने पूरे देश में राजनीतिक और सामाजिक जागरूकता पैदा की। उन्होंने कहा कि इन आंदोलनों ने तत्कालीन केंद्र की कांग्रेस सरकार को चुनौती दी, जिसके बाद आपातकाल लगाया गया और संविधान का उल्लंघन किया गया।
लोकनायक जयप्रकाश नारायण का जीवन सादा जीवन, उच्च विचार और जनकल्याण की भावना का प्रतीक था। वे हमेशा सामान्य जनता के अधिकारों और लोकतंत्र की रक्षा के लिए खड़े रहे। प्रधानमंत्री ने बताया कि जेपी की पुस्तक ‘प्रिजन डायरी’ में आपातकाल के दौरान उनके संघर्ष और लोकतंत्र के प्रति अटूट विश्वास का प्रमाण मिलता है। प्रधानमंत्री ने लोकनायक के प्रेरक शब्द उद्धृत किए।
“भारतीय लोकतंत्र के ताबूत में डाला गया हर कील मेरे दिल में भी जैसे कील ठोंकने के समान है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने X (पूर्व Twitter) पर पोस्ट करते हुए कहा कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने भारतीय राजनीति और समाज में सच्चाई और ईमानदारी का रास्ता दिखाया और उनकी विचारधारा आज भी देश के लिए प्रेरणास्त्रोत है।
जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के चित्रकूट (सतना जिले, तत्कालीन ब्रिटिश भारत) में हुआ था। उन्हें प्यार से लोकनायक कहा जाता था, जिसका अर्थ है “जनता के नेता”। वे भारत के ऐसे नेता और समाज सुधारक थे, जिन्होंने सादा जीवन, उच्च विचार और जनकल्याण के सिद्धांतों के लिए पूरी जिंदगी समर्पित की।
शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
जेपी ने प्रारंभिक शिक्षा के बाद पटना विश्वविद्यालय से पढ़ाई की।
इसके बाद उन्होंने अमेरिका और इंग्लैंड में उच्च शिक्षा प्राप्त की और वहां राजनीति विज्ञान में महारत हासिल की।
पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने सामाजिक न्याय, लोकतंत्र और आर्थिक समानता के विषयों में गहरी रुचि विकसित की।
राजनीतिक जीवन और योगदान
जयप्रकाश नारायण ने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया और महात्मा गांधी के प्रभाव में आकर सत्याग्रह और अहिंसा के मार्ग को अपनाया। उन्होंने भारतीय जनता और किसानों के अधिकारों के लिए कई आंदोलनों का नेतृत्व किया। विशेष रूप से बिहार आंदोलन (1974) और बाद में पूरे देश में हुए संपूर्ण क्रांति आंदोलन के लिए वे जाने जाते हैं। उनके नेतृत्व में यह आंदोलन भ्रष्टाचार, सत्ताधिपत्य और सामाजिक अन्याय के खिलाफ था।
आपातकाल और जेल जीवन
1975 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा आपातकाल लागू किए जाने के दौरान, जयप्रकाश नारायण को जेल में रखा गया। इस दौरान उन्होंने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘प्रिजन डायरी’ लिखी, जिसमें उन्होंने जेल जीवन की कठिनाइयों और लोकतंत्र के प्रति अपने अटूट विश्वास को दर्शाया। उनका यह विचार था कि लोकतंत्र की रक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य है।
संपूर्ण क्रांति और जनसत्ता
जेपी का संपूर्ण क्रांति आंदोलन केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक और नैतिक सुधार का आंदोलन था। उनका उद्देश्य था कि समाज में समानता, नैतिकता और सुशासन को बढ़ावा मिले। उनकी विचारधारा ने भ्रष्टाचार, सामंती मानसिकता और असमानता के खिलाफ एक मजबूत जन-जागरण पैदा किया।
सादगी और आदर्श जीवन
जयप्रकाश नारायण का जीवन हमेशा सादगी और ईमानदारी का प्रतीक रहा। वे सत्ता में आने के बजाय जनता के लिए सेवा करना पसंद करते थे। उनके आदर्श आज भी नेतृत्व, लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
निधन
लोकनायक जयप्रकाश नारायण का निधन 8 अक्टूबर 1979 को हुआ, लेकिन उनके विचार और आदर्श आज भी भारत में लोकतंत्र और समाज सुधार के प्रेरक बने हुए हैं।
