नई दिल्ली. केंद्र सरकार की रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC), जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कर रहे हैं, ने भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना की क्षमता बढ़ाने के लिए लगभग 79,000 करोड़ रुपये के प्रमुख खरीद प्रस्ताव मंजूर किए हैं। यह बैठक गुरुवार को साउथ ब्लॉक, नई दिल्ली में हुई।
भारतीय सेना को नई मारक क्षमता
सेना के लिए DAC ने निम्नलिखित प्रमुख सिस्टम की Acceptance of Necessity (AoN) मंजूरी दी है:
नाग मिसाइल सिस्टम (Tracked) Mk-II (NAMIS)
ग्राउंड बेस्ड मोबाइल इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सिस्टम (GBMES)
हाई मोबिलिटी व्हीकल्स (HMVs) विद मटीरियल हैंडलिंग क्रेन
NAMIS (Tracked) दुश्मन के युद्ध वाहन, बंकर और मजबूत किले जैसी संरचनाओं को नष्ट करने में सेना की क्षमता को बढ़ाएगा। GBMES दुश्मन के इलेक्ट्रॉनिक स्रोतों पर लगातार निगरानी और खुफिया जानकारी प्रदान करेगा। HMVs से सेना की लॉजिस्टिक संचालन क्षमता विविध क्षेत्रों में मजबूत होगी।
नौसेना को नई युद्ध और एम्बीफियस क्षमताएं
भारतीय नौसेना के लिए AoN मंजूरी मिली है:
लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक (LPD)
30mm नेवल सरफेस गन (NSG)
एडवांस्ड लाइटवेट टॉरपीडो (ALWT)
इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इन्फ्रारेड सर्च एंड ट्रैक सिस्टम
76mm सुपर रैपिड गन माउंट के लिए स्मार्ट एमिशन
LPDs नौसेना को सेना और वायु सेना के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर एम्बीफियस ऑपरेशन करने में सक्षम बनाएंगे। ये प्लेटफॉर्म शांति सुरक्षा, ह्यूमैनिटेरियन मिशन और आपदा राहत कार्यों में भी उपयोगी होंगे। ALWT, जिसे DRDO के Naval Science & Technological Laboratory ने विकसित किया है, पारंपरिक, न्यूक्लियर और मिडजेट सबमरीन को निशाना बनाने में सक्षम है। 30mm NSG नौसेना और तटरक्षक बल की लो-इंटेंसिटी मैरिटाइम ऑपरेशन और एंटी-पायरेसी मिशन क्षमता को बढ़ाएगा।
वायु सेना के लिए अत्याधुनिक लंबी दूरी के स्ट्राइक सिस्टम
भारतीय वायु सेना के लिए AoN मंजूरी मिली है:
Collaborative Long Range Target Saturation/Destruction System (CLRTS/DS)
अन्य प्रमुख प्रस्ताव
CLRTS/DS स्वायत्त टेक-ऑफ, लैंडिंग, नेविगेशन, डिटेक्शन और मिशन क्षेत्र में पेलोड डिलीवरी करने में सक्षम है। यह प्रणाली वायु सेना की लंबी दूरी की ऑफेंसिव और ऑटोनॉमस क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।