नई दिल्ली. राजस्थान सरकार अब पंचायत और शहरी निकाय चुनावों के लिए लागू 30 साल पुराने ‘दो बच्चों वाले नियम’ में बदलाव करने जा रही है। सरकार इसके लिए जल्द ही एक अध्यादेश (Ordinance) लाने की तैयारी में है। प्रस्तावित संशोधन के तहत, ऐसे व्यक्ति जिनके दो से अधिक बच्चे हैं, उन्हें अब पंचायत और नगर निकाय चुनाव लड़ने से नहीं रोका जाएगा।
अधिकारियों ने पुष्टि की है कि राजस्थान पंचायती राज अधिनियम और राजस्थान नगर पालिका अधिनियम में संशोधन का मसौदा तैयार कर लिया गया है और उसे कानून विभाग (Law Department) को जांच के लिए भेज दिया गया है। विभाग की मंजूरी के बाद यह प्रस्ताव कैबिनेट के सामने रखा जाएगा।
1995 से लागू है दो-बच्चों का नियम
वर्तमान कानून के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जिसके 27 नवंबर 1995 के बाद तीसरा बच्चा हुआ है, वह पंचायत या शहरी निकाय चुनाव नहीं लड़ सकता।
यह प्रावधान राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 24 और राजस्थान पंचायती राज अधिनियम की समान धाराओं में मौजूद है।
इस नियम के तहत, ऐसे व्यक्ति पंच, सरपंच, उप-सरपंच, पंचायत समिति सदस्य, जिला परिषद सदस्य, प्रधान, जिला प्रमुख, पार्षद, अध्यक्ष या महापौर जैसे किसी भी पद के लिए चुनाव नहीं लड़ सकते थे।
दोनों दलों को होगा फायदा
इस नियम में संशोधन का फायदा भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) दोनों पार्टियों के नेताओं को मिलेगा। कई ऐसे जनप्रतिनिधि और स्थानीय नेता जो दो से अधिक बच्चों की वजह से चुनाव नहीं लड़ पा रहे थे, अब फिर से चुनाव लड़ने के पात्र (eligible) बन जाएंगे।
राज्य के शहरी विकास एवं आवासन मंत्री झबर सिंह खरा ने हाल ही में कहा था,
“चुने हुए प्रतिनिधियों के साथ दो-बच्चों के नियम के कारण भेदभाव नहीं होना चाहिए। लोकतंत्र में जनसेवा के अधिकार पर ऐसी पाबंदी उचित नहीं है।”
राजनीतिक संकेत और संभावनाएं
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम राज्य के स्थानीय निकाय चुनावों (Panchayat & Urban Local Body Polls) से पहले लिया गया रणनीतिक निर्णय है। इससे बड़ी संख्या में स्थानीय नेता फिर से सक्रिय राजनीति में लौट सकते हैं।