नई दिल्ली. राजस्थान में उद्योग और व्यापार को नई रफ्तार देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर जालोर जिले में एक Inland Port विकसित करने जा रही हैं। इस पोर्ट के जरिए राजस्थान सीधे Arabian Sea से जुड़ेगा, क्योंकि यह कांडला पोर्ट (गुजरात) तक एक जलमार्ग स्थापित करेगा। राज्य के जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत ने इसकी आधिकारिक जानकारी दी है।
IIT मद्रास ने सौंपी DPR का ड्राफ्ट
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) मद्रास ने इस इनलैंड पोर्ट के लिए Detailed Project Report (DPR) का ड्राफ्ट तैयार कर राजस्थान सरकार को सौंप दिया है।राज्य सरकार द्वारा सुझाव देने के बाद ही इसकी फाइनल DPR प्रस्तुत की जाएगी।
उद्योगों के लिए नए अवसर
मंत्री सुरेश रावत के अनुसार, यह प्रोजेक्ट जालोर, बाड़मेर और आसपास के इलाकों में कई उद्योगों को नई दिशा देगा।
इससे जुड़े प्रमुख सेक्टर होंगे:
Textiles
Stone Industry
Agricultural Products
Oilseeds, Guar, Pulses, Millet
प्रोजेक्ट से जुड़ी प्रमुख बातें
- मुंबई में MoU पर हस्ताक्षर
पिछले महीने मुंबई में राजस्थान रिवर बेसिन एंड वाटर रिसोर्सेज प्लानिंग अथॉरिटी और इंलैंड वाटरवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया के बीच MoU पर हस्ताक्षर किया गया। - 262 किलोमीटर लंबा जलमार्ग
यह जलमार्ग 262 km लंबा होगा।
जालोर को सीधे Gulf of Kutch से जोड़ेगा।
इससे माल ढुलाई के लिए सड़क और रेल पर निर्भरता काफी कम होगी।
- नेशनल वाटरवे-48 से कनेक्टिविटी
यह मार्ग Jawai–Luni–Rann of Kutch नदी प्रणाली से जुड़ेगा, जिसे पहले ही National Waterway-48 घोषित किया जा चुका है। - 10,000 करोड़ से अधिक की लागत
प्रोजेक्ट में ड्रेजिंग समेत अन्य कार्यों पर ₹10,000 करोड़ से ज्यादा खर्च होने का अनुमान है। - 14 km भूमि देगी राजस्थान सरकार
राजस्थान सरकार इनलैंड पोर्ट निर्माण के लिए 14 किलोमीटर भूमि उपलब्ध कराएगी।
पूरा प्रोजेक्ट तैयार होने के बाद इसका संचालन राज्य सरकार करेगी।
50,000 से ज्यादा रोजगार के अवसर
अनुमान के मुताबिक यह प्रोजेक्ट राजस्थान और गुजरात में मिलाकर लगभग 50,000 नई नौकरियां पैदा करेगा।
साथ ही इससे कई नई इंडस्ट्रीज, वेयरहाउसिंग हब, कोल्ड स्टोरेज और इंडस्ट्रियल क्लस्टर्स विकसित होंगे।
राजस्थान का यह इनलैंड पोर्ट प्रोजेक्ट राज्य में व्यापार, लॉजिस्टिक्स और औद्योगिक विकास के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है।
कांडला बंदरगाह से सीधा कनेक्शन मिलने पर राज्य के उद्योगों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच और भी आसान होगी।
