नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपने सौ साल में बड़े संगठनात्मक बदलाव पर विचार कर रहा है। इसका उद्देश्य सत्ता का विकेन्द्रीकरण करना, सत्ता का विशेषाधिकार स्तर तक स्थानांतरण और जमीनी स्तर तक पहुंच को मजबूत करना है, ताकि संघ का काम हर गांव और आबादी तक पहुंच सके। इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय अगले साल होने वाली प्रतिनिधि सभा की बैठक में लिया जाएगा।
प्रान्त व्यवस्था समाप्त, सम्भाग संरचना लागू
प्रस्ताव का सबसे अहम हिस्सा मौजूदा प्रांत सिस्टम को खत्म करना है। अगर RSS 46 प्रांतों के ज़रिए काम करता है, लेकिन इनके तहत 90 से ज़्यादा संभाग बनाए जाने की योजना है। इससे बचे हुए हिस्से ज़्यादा माइक्रो-लेवल और क्षेत्रीय इकाइयों के अनुरूप होगा। नेतृत्व और फील्ड यूनिट्स के बीच की दूरी कम होगी और निर्णय लेने की क्षमता तेज़ हो सकेगी।
क्षेत्र और प्रांत प्रचारक में बदलाव
अधिकारियों के मुताबिक, क्षेत्र प्रचारकों की संख्या में कमी आ सकती है और 11 जिलों में 9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है। इसके साथ ही प्रांत प्रचारक की जगह नया पद प्रदेश प्रचारक लाने का प्रस्ताव है। उत्तर प्रदेश में 6 प्रांतों को पुनर्गठित कर 9 संघ बनाए जा सकते हैं, जो डिवीजनों के संरचनात्मक होंगे। हर सम्भाग का नेतृत्व अलग प्रचारक चाहता है, जबकि समन्वय की जिम्मेदारी एक प्रदेश प्रचारक के पास होगी।
राज्य और क्षेत्रीय पुनर्गठन
प्रस्ताव के अनुसार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को एक ही region में जोड़ा जा सकता है, जबकि राजस्थान को उत्तरी क्षेत्र में शामिल करने पर विचार है। sambhag के नीचे vibhag और district pracharak system पहले की तरह जारी रहेगा। लगभग हर जिले में RSS कार्यालय पहले से मौजूद हैं, जो गांव–मोहल्ला स्तर तक पहुंच का मजबूत आधार बनेंगे।
सामाजिक कार्य और वैचारिक फोकस
RSS के छह प्रमुख विभाग – प्रचार, बौद्धिक, शारीरिक, व्यवस्था, संपर्क और सेवा – में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। हालाँकि, सामुदायिक कार्य, पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक सद्भाव और पारिवारिक मूल्यों पर सबसे अधिक ज़ोर रहेगा।
RSS chief Mohan Bhagwat लगातार कहते रहे हैं कि pracharaks को सत्ता की राजनीति से दूर रहकर दीर्घकालिक social transformation पर ध्यान देना चाहिए।
Modern Outreach और Multi-lingual Strategy
Pracharaks को multi-lingual skills विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। साथ ही, देशभर में Indraprastha Vishwas Samvad Kendras स्थापित किए गए हैं, ताकि आधुनिक टूल्स के जरिए संवाद, समन्वय और वैचारिक पहुंच मजबूत की जा सके।
BJP–RSS Coordination पर असर
नए ढांचे से BJP–Sangh coordination का तरीका भी बदल सकता है। अधिकार नीचे जाने से समन्वय अब district level से शुरू होकर ऊपर की ओर बढ़ेगा। इससे बातचीत ज्यादा स्थानीय, मुद्दा-आधारित और व्यावहारिक हो सकती है। यह बदलाव ऐसे समय में हो रहा है जब BJP खुद भी leadership transition के दौर से गुजर रही है, जिससे दोनों संगठनों में एक व्यापक organisational reset के संकेत मिलते हैं।
