नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक मामले में 15-18 साल की उम्र की पत्नी के साथ सेक्स को भारतीय दंड संहिता के मुताबिक दंडनीय अपराध घोषित कर दिया है. यदि शादी के बाद पत्नी शारीरिक संबंधों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराती है तो पति के खिलाफ बलात्कार का मामला बनेगा.
कोर्ट ने यह फैसला देते हुए कहाकि बलात्कार पर कानून (रेप लॉ) का ‘एक्सेप्शन क्लॉज’ भेद-भावपूर्ण और मनमाना है. यह फैसला न्यायाधीश मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की एक बेंच के द्वारा दिया गया.
अदालत ने बाल विवाह की कुरीति पर भी अपना गहरा क्षोभ व्यक्त करते हुए कहाकि सामाजिक न्याय के कानूनों को जिस उत्साह के साथ लागू किया जाना चाहिये था समाज में उसका पूरी तरह से अभाव दिखता है. कार्ट ने साफ कहाकि बलात्कार का कानून में यह जो एक अपवाद है वह सीधे तौर पर नाबालिग लड़कियों की शारीरिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों और केंद्र सरकार से कहाकि बाल विवाह को पूरे देश में रोकने के लिये सख्त कदम उठाये जाने की जरूरत है.
हालांकि अपने बयान में कोर्ट ने साफ किया कि इस फैसले को शादी के अंदर बलात्कार के मसले जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिये. मालूम हो कि एनजीओ इंडिपेंडेट थॉट ने IPC के रेप लॉ के एक्सेप्शन क्लॉज को कोर्ट में चुनौती दी थी. जिस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने यह फैसला दिया है.