नई दिल्ली. उर्दू भाषा और तहजीब के उत्सव जश्न-ए-रेख्ता के तीसरे और आखिरी दिन, आज दिल्ली के मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम में रेख्ता के चाहनेवालों का हुजूम उमड़ पड़ा. दिल्ली के अलावा पडोसी राज्यों से भी लोग इसमें हिस्सा लेने पहुँचे. वहीँ फेसबुक पर भी रेख्ता का जिक्र छाया रहा. रेख्ता की तस्वीरों से फेसबुक अटा रहा और दिनभर जश्न के आयोजनों का ‘लाइव’ होता रहा. दूसरे आयोजनों के उलट, जश्न-ए-रेख्ता में भीड़ के बावजूद धक्का मुक्की और बहसा-बहसी की नितांत अनुपस्थिति, उर्दू के शैदाइयों की तहजीब का नमूना पेश कर रही थी.
उर्दू की इस अदबी महफ़िल में आज के कार्यक्रम की शुरुवात सूफियाना कलाम, दास्तानगोई और उर्दू पोएट्री से हुई. शायरी के बाद बारी थी गीतकार जावेद अख्तर के साथ गुफ्तगू की. इसके अलावा यूनाइटेड किंगडम से आई तान्या वेल्स ने उर्दू गज़लें गा कर समां बाँध दिया. वहीँ कोकब फरीद और उनकी टीम ने ‘जन्नत से जौन एलिया’ ड्रामा पेश किया. प्रस्तुतियों के अलावा इश्क उर्दू के स्टाल की भी खूब चर्चा रही. इन्होने ‘बिना उर्दू कैसा होता हमारा सिनेमा’ जैसी थीम पर पोस्टर—कार्ड्स वगैरह बनाये थे, जिनमें जाने-माने फ़िल्मी गानों और डायलॉग्स में उर्दू शब्दों की जगह शुद्ध हिंदी के शब्द रखने का प्रयोग किया गया था. नमूने के तौर पर, एक पोस्टर का कंटेंट था- ‘ह्रदय वस्तु क्या है आप मेरे प्राण लीजिये’.

फैज़ अहमद फैज़ और मिर्ज़ा ग़ालिब पर भी अलग अलग सत्र चले जिसके बाद शिल्पा राव ने फैज़ के कुछ कलाम गाकर, श्रोताओं के बीच सन्नाटा खींच दिया. उर्दू-हिंदी कहानी पर भी एक चर्चा हुई जिसमें मृदुला गर्ग, मुशर्रफ आलम जौकी और सैय्यद मोहम्मद अशरफ ने शिरकत की. टीम सुखन की प्रस्तुतियों पर भी सुनने वाले जमकर झूमे.
कार्यक्रम की समाप्ति निज़ामी बंधुओं की कव्वाली से होनी है.