शिमला. हिमाचल में सरकार बनाने के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के सामने वित्तीय संकट सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है. दो दिन पहले दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान उन्होंने यह मुद्दा उठाया और केंद्र से मदद भी मांगी है.
मंत्रीमंडल की बैठकों में कामकाज का डेमो देंगे विभाग
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर चाहते हैं कि विभागीय कार्यप्रणाली में सुधार लाया जाए. इसके लिए मंत्रिमंडल की बैठक में कम से कम एक विभाग की कार्यप्रणाली का डेमों दिया जाएगा. अवैध निर्माण को लेकर एनजीटी के आदेशों पर भी विधि विभाग को अपनी राय देने के लिए कहा गया है ताकि सरकार अगला कदम सुनिश्चित कर सके.
मुख्यमंत्री जयराम ने कहा कि राज्य पर इस समय 46500 करोड़ रुपए का कर्ज है. इससे उबर पाना अपने आप में ही एक बड़ी चुनौती है. इस संबंध में वह अपने दिल्ली दौरे के दौरान प्रधानमंत्री से चर्चा कर चुके हैं. उन्होंने इसके लिए विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. उन्होंने इस संबंध में केंद्रीय वित्तमंत्री से भी बात की है और वहां से पूरी मदद का आश्वासन मिला है.
ऋण की सीमा पार कर चुकी है पिछली सरकार
मुख्यमंत्री का कहना था कि वित्तीय संकट की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हिमाचल सरकार ऋण लेने की तय सीमा को पार कर चुकी है. इसके बावजूद सरकार विकासात्मक कार्य को प्रभावित नहीं होने देगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वित्तीय संकट के लिए पूर्व कांग्रेस सरकार दोषी है. पूर्व कांग्रेस सरकार द्वारा एक-एक दिन में बिना किसी बजट के अनावश्यक तौर पर सौ-सौ शिलान्यास किए गए.
उनका कहना था कि प्रदेश सरकार राज्य में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देगी. प्रदेश में पर्यटन विकास को बढ़ावा देने के लिए अहम कदम उठाए जाएंगे. राज्य में साहसिक खेलों को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाएगा.