‘ओल्ड मोंक’ नाम जहन में आते ही ठण्ड की याद आती है, अगर ये ठण्ड में मिल जाये तो बाकी कुछ रह नहीं जाता. नाम से ही पीने वालों के ‘मुंह में पानी’ आ जाता है.
ओल्ड मोंक के मालिक कपिल मोहन अब इस दुनिया में नहीं रहे. उन्होंने पूरे विश्व में इस ब्रांड की पहचान दिलाई. कपिल मोहन लखनऊ से थे. ‘मोहन मेकिंन’ और इसके केयर टेकर हैं सोलन के निवासी प्रेम चंद.
ओल्ड मोंक का 1854 से अब तक करीब 163 सालों का सफर रहा है . देश की आजादी से पहले बनने लगी थी ओल्ड मोंक लेकिन पहले इसका नाम था ‘डायर ब्रियुरी’ जो कि जलियावाला बाग हत्याकांड वाले जनरल डायर के पिता ने 1854 – 55 में ‘कसौली’ जो हिमाचल प्रदेश के पर्यटन स्थानों में से एक है, द्वारा स्थापना की गई थी.
आजादी के बाद इसको कपिल मोहन के पिता एन एन मोहन ने खरीद लिया था और इसका नाम बदलकर मोहन मेकिंन लिमिटेड कर दिया.
पद्मश्री ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) कपिल मोहन
गाजियाबाद में कपिल मोहन ने अंतिम सांस ली. आखिरी पलों में वह कार्डियक अरेस्ट के शिकार हो गए थे. ‘ओल्ड मोंक’ को पॉपुलर बनाने के पीछे कपिल मोहन का हाथ था. लंबे समय से बीमार चल रहे कपिल ने 6 जनवरी को गाजियाबाद में अंतिम सांस ली. कपिल मोहन काफी समय से बीमार चल रहे थे. 88 साल के कपिल मोहन ‘मोहन मेकिंन लिमिटिड’ के चेयरमैन थे.
दुनिया के लोगों ने सोशल मीडिया पर शोक जताया
Kapil Mohan, man behind the success of Old Monk, passes away at 88 https://t.co/bjgZH4898E @Aadimanaw 🙁 Another legend which gave an outstanding brand with we Indians can boast about outside India. #oldmonk #indianrum pic.twitter.com/iuSV1nZVsE
— Abhinav Kumar (@singhabhinav) January 8, 2018