रांची. मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने कहा कि शिल्पकार या कलाकार होना आसान नहीं है. कठिन परिस्थितियों में भी हमारी कला संस्कृति को इन्होंने ही जीवित रखा है. कलाकारों और शिल्पकारों से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए और उनके जज्बे और हौसले से हमें सीखना चाहिए कि किस तरह कठिनाइयों के बावजूद भी उन्होंने अपनी संस्कृति और कला को जीवित रखा है. आदि महोत्सव जैसे प्रयासों से शिल्पकारों, कलाकारों और आदिवासी जनजातियों के लिए प्रगति के राह प्रशस्त कर पाएंगे. मुख्य सचिव रविवार को ऑड्रे हाउस में 9 जनवरी से चल रहे आदि महोत्सव के समापन समारोह में लोगों को संबोधित करते हुए यह बातें कही.
मुख्य सचिव ने कहा कि आदि महोत्सव में मिनी भारत की झलक मिलती है. यहां आकर असम, राजस्थान, उड़ीसा, झारखंड के कला एवं संस्कृति की एक झलक मिलती है. उन्होंने कहा कि जो स्टॉल आदि महोत्सव में लगे हैं उन सभी स्टॉलों के बची हुई वस्तुओं को ट्राईफेड खरीदेगी. ट्राईफेड के विभिन्न सेंटरों पर उनकी बिक्री होगी.
केन्द्रीय बजट से शिल्पकार और कलाकार को मिलेगा फायदा
मुख्यसचिव ने कहा कि इस बार के केंद्रीय बजट में भी शिल्पकार, कलाकार एवं आदि जनजाति के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सदैव आदिवासियों के हित के लिए सोचा है. उन्होंने मुख्यमंत्री लघु कुटीर उद्योग बोर्ड का गठन किया है. यह बोर्ड आदिवासियों से वन उत्पादों को खरीदेगी तथा आदिवासी जनजाति के लोगों के आय के स्रोतों में वृद्धि करने का कार्य करेगी. राज्य में 1 लाख 15 हजार सखी मंडल के माध्यम से लघु उत्पाद को बढ़ावा देने का कार्य किया जा रहा है.
गांव की बेकार चीजों को शहर में मिलती है अच्छी कीमत
कार्यक्रम में रांची की मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि आदि महोत्सव द्वारा से समाज और देश को जोड़ने का काम किया जा रहा है. इस तरह के महोत्सव से हमारी कला संस्कृति से जुड़े उत्पादो को एक बाजार मिल पाता है. उन्होंने मडूआ और गोंदली के व्यंजनो का जिक्र करते हुए कहा कि जिन चीजों को हम गांव में एकदम बेकार समझते हैं उनकी आज शहर के बाजार में अच्छी कीमत मिलती है.
उत्कृष्ट स्टॉलों के प्रतिनिधि सम्मानित
समापन कार्यक्रम में महोत्सव के उत्कृष्ट स्टॉलों के प्रतिनिधियों को मुख्य सचिव तथा मेयर ने सम्मानित किया. इससे पूर्व मुख्य सचिव तथा मेयर ने आदि महोत्सव के सभी स्टॉलो का परिभ्रमण किया एवं स्टॉल के लोगों से उनके उत्पादों के विशेषताओं की जानकारी ली. स्टॉलों के परिभ्रमण के क्रम में मुख्य सचिव ने लाह की चुड़ियों के निर्माण में लगी महिलाओं से उनके पास भूमि पर बैठकर लाह की चूड़ियों के बारे में जानकारी ली एवं उनके कार्यों को सराहा.
महोत्सव में हुआ 75 लाख रुपए का कारोबार
जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ (मर्यादित) ने रांची के ऑड्रे हाउस में किया जिसमें झारखण्ड के अलावा देश के अन्य 9 राज्यों ने भाग लिया. इस महोत्सव में लगभग 75 लाख रुपए का कारोबार हुआ और रांची के लोगों ने इस महोत्सव को बहुत सराहा. जयपुर में आयोजित हुए इस महोत्सव में लगभग 52 लाख रुपए तथा भोपाल में 62 लाख रुपये का कारोबार हुआ था.