नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होनें बुधवार को अपना इस्तीफा राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी को सौंपा. फैसले से पूर्व जदयू विधायकों की बैठक हुई. इसके बाद मुख्यमंत्री, राज्यपाल से मिले और राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपा. राज्यपाल ने मुख्यमंत्री का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है.
आज बुधवार को राजद के विधायक दल की बैठक हुई. इसमें दोबारा राजद विधायकों ने तेजस्वी यादव का इस्तीफा नहीं देने पर सर्वसम्मति दिखाई. इससे पूर्व राजद सुप्रीमों लालू यादव का बयान आया था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव का इस्तीफा नहीं मांगा है. उन्होनें एएनआई को दिए गए बयान में कहा कि गठबंधन उनका बनाया है और वे उसे टूटने नहीं देंगे.
पिछले दिनों लालू यादव और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. इसके बाद से बिहार में विपक्षी पार्टी भाजपा तेजस्वी से इस्तीफा की मांग कर रही थी.
इस्तीफा देने के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि उन्होनें गठबंधन की सरकार को 30 महीने से ज्यादा चलाया है और गठबंधन धर्म का पालन किया है.
उन्होनें कहा “जितना भी संभव हुआ हमने काम करने की कोशिश की. लेकिन इस बीच में जो चीजें उभर कर सामने आईं. अब उस माहौल मेरे लिए काम करना संभव नहीं है.”
नीतीश ने कहा “तेजस्वी के मुद्दे पर हमने राहुल गांधी से बात की, राज्य के कांग्रेस नेताओं से भी बात की. हमने कांग्रेस से भी कहा कि कुछ ऐसा करें जिससे रास्ता निकले. लेकिन कोई रास्ता नहीं निकला…. हमने अंतरआत्मा की आवाज सुनकर इस्तीफा देने का फैसला लिया.
वैकल्पिक व्यवस्था होने तक बिहार में कुछ दिनों तक गठबंधन की सरकार बनी रहेगी.
सत्ता की चाबी भाजपा के पास
नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद अब यह देखना है कि ऊंट किस करवट बैठता है क्योंकि अब बिहार में इसी हाल में सरकार बन सकती है जब भाजपा किसी पार्टी को बहुमत दे. मतलब सत्ता की चाबी भाजपा के पास है. 243 सीटों वालीं बिहार विधानसभा में राष्ट्रीय जनता दल के पास 80, जदयू के पास 71, भाजपा के पास 53 और कांग्रेस के पास 27 सीटें हैं. ऐसे में अगर राजद, कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाना चाहे तो भी वह बहुमत के आंकड़े से 16 सीटें दूर है. वहीं निर्दलीय और सीपीआई के सात सीटों को मिलाकर भी बहुमत का आंकड़ा छूना मुश्किल है.
दूसरी तरफ भाजपा और उसके सहयोगी दलों के सीटों की संख्या की बात करें तो एनडीए के पास कुल 58 सीट है और जदयू और एनडीए के सीटों को जोड़ दिया जाए तो 129 सीटें हो जाती है जो बहुमत के आंकडें को आराम से छू लेती है. अब यह देखना होगा कि नीतीश कुमार भाजपा के साथ जाते हैं या नहीं क्योंकि 2013 में ही नीतीश कुमार ने जदयू और भाजपा का गठबंधन वैचारिक मतभेद के कारण तोडा था, जब भाजपा ने नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री का चेहरा बनाया था और आज वह देश के प्रधानमंत्री हैं. वहीं भाजपा ने कई बार खुले मंच से नीतीश को समर्थन देने को कह चुकी है.