नई दिल्ली: One Nation One Election Bills को लेकर गठित Joint Parliamentary Committee (JPC) की एक अहम बैठक मंगलवार को नई दिल्ली में आयोजित हुई। बैठक की अध्यक्षता बीजेपी सांसद पी पी चौधरी ने की। इस दौरान समिति ने संविधान (एक सौ उनतीसवां संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विस्तार से चर्चा की।
बैठक में खास तौर पर International Monetary Fund (IMF) की First Deputy Managing Director गीता गोपीनाथ और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के सदस्य संजीव सान्याल ने हिस्सा लिया। दोनों विशेषज्ञों ने One Nation One Election के आर्थिक, प्रशासनिक और नीतिगत प्रभावों पर अपने विचार साझा किए।
चुनावी खर्च और प्रशासनिक स्थिरता पर फोकस
सूत्रों के अनुसार, चर्चा के दौरान यह मुद्दा प्रमुखता से उठा कि एक साथ चुनाव कराने से देश में बार-बार होने वाले चुनावों के कारण पड़ने वाले आर्थिक बोझ (Election Expenditure) में कमी लाई जा सकती है। गीता गोपीनाथ ने चुनावी प्रक्रिया और आर्थिक गतिविधियों के बीच संबंधों पर बात करते हुए बताया कि लगातार चुनाव होने से Policy Continuity और Economic Planning प्रभावित होती है।
वहीं, संजीव सान्याल ने कहा कि यदि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाते हैं, तो इससे Governance Efficiency, Policy Implementation और Development Projects को गति मिल सकती है।
संविधान संशोधन की जरूरत पर चर्चा
जेपीसी ने इस बात पर भी मंथन किया कि One Nation One Election को लागू करने के लिए किन-किन संवैधानिक प्रावधानों में संशोधन जरूरी होंगे। समिति यह भी देख रही है कि केंद्र शासित प्रदेशों में चुनावी व्यवस्था को किस तरह एकसमान बनाया जा सकता है।
आगे क्या?
जेपीसी आने वाले दिनों में राजनीतिक दलों, संवैधानिक विशेषज्ञों और प्रशासनिक अधिकारियों से भी राय ले सकती है। समिति की सिफारिशों के आधार पर ही सरकार इस महत्वाकांक्षी चुनाव सुधार को आगे बढ़ाने पर अंतिम फैसला लेगी।
वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर यह बैठक इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि इसे Electoral Reforms in India की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
