नई दिल्ली. रविवार को मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट किया कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के दौरान हटाए गए लगभग 65 लाख मतदाताओं के नामों की सूची अब जिलाधिकारियों की वेबसाइटों पर अपलोड कर दी गई है। यह सूची सुप्रीम कोर्ट के आदेश के 56 घंटों के भीतर उपलब्ध कराई गई।
सूची कैसे खोजी जा सकती है
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, हटाए गए मतदाताओं की सूची मतदाता फोटो पहचान पत्र (EPIC) नंबर के आधार पर खोजी जा सकती है। सीईसी ने मतदाताओं की गोपनीयता की रक्षा पर भी जोर दिया और कहा कि आयोग को मशीन-पठनीय सूचियाँ साझा करने का निर्देश नहीं था।
फर्जी मतदाता आरोपों का जवाब
मतदान प्रक्रिया में “फर्जी मतदाता” होने के आरोपों के सवाल पर कुमार ने बताया कि पहले मकान नंबर न होने के बावजूद पंजीकरण की अनुमति दी जाती थी। उन्होंने स्पष्ट किया, “उन्हें फ़र्ज़ी मतदाता कहना गलत है।”
महाराष्ट्र की तुलना और समय का बचाव
कुमार ने कहा कि महाराष्ट्र में मसौदा मतदाता सूची के दौरान कोई दावे या आपत्तियाँ नहीं आईं। उन्होंने सवाल उठाया कि वहां चुनावों के बाद कोई चुनाव याचिका क्यों नहीं दायर की गई।
राहुल गांधी के “वोट चोरी” आरोप पर प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के मतदाता तस्वीरें साझा करने और चुनाव प्रक्रिया में अनियमितताओं के आरोपों का जवाब भी दिया। सीईसी ने कहा कि मतदाताओं की सहमति के बिना तस्वीरें साझा करना गलत है। उन्होंने गांधी को सात दिनों के भीतर हलफनामा दाखिल करने या सार्वजनिक माफ़ी मांगने का निर्देश दिया।
हटाए गए मतदाताओं की वजहें और उपलब्ध लिंक
चुनाव आयोग ने ज़िलेवार सूची में नाम हटाने के कारण भी बताए, जिनमें मृत्यु, प्रवास और दोहरा पंजीकरण शामिल हैं। यह सूची अब चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है, जहाँ मतदाता इसे आसानी से देख सकते हैं।