नई दिल्ली. व्यक्ति विशेष में कई नेताओं का परिचय हमने आपसे करवाया. आज हम बात करेंगे उस शर्मीले नेता की, जिन्होंने ऐसा जादू चलाया कि मात्र 26 साल की उम्र में लोकसभा सांसद बनकर देश की राजनीति में एक मिसाल कायम की. जानिये सोनिया गांधी के सलाहकार रहने वाले और कांग्रेस के चाणक्य कहे जाने वाले अहमद पटेल की कहानी.
गांधी परिवार के साथ घनिष्ठ संबंध
बात आपातकाल के बाद की है जब महज 26 साल का मुसलमान नौजवान भरुच से लोकसभा चुनाव जीत जाता है और सभी राजनीतिक पंडित भौचक्के रह जाते हैं. अहमद पटेल का कद सिर्फ इसलिए बड़ा नहीं है कि वह कांग्रेस से तीन बार लोकसभा सांसद रहे हैं और पांच बार राज्यसभा पहुंच चुके हैं. उनकी पहचान इसलिए भी बनी क्योंकि उनके रिश्ते गांधी परिवार से हमेशा से अच्छे रहे हैं. 1980 और 1984 के बीच जब इंदिरा गांधी के बेटे राजीव गांधी को तैयार किया जा रहा था तब अहमद पटेल राजीव की राजनीति चमकाने में मदद कर रहे थे. वहीं 2001 में सोनिया गांधी ने अहमद को ही राजनीतिक सलाहकार बनाया था.
जब बनाए गए प्रधानमंत्री संसदीय सचिव
गुजरात के अंकलेश्वर में 21 अगस्त 1949 को अहमद पटेल का जन्म हुआ. उन्होंने भरूच के जयेंद्र पुरी आर्ट्स एंड साइंस कॉलेज से बीएससी पास किया. पटेल ने अपनी राजनीतिक सफर की शुरुआत नगरपालिका के चुनाव से की. उसके बाद वह पंचायत के सभापति भी बनाए गए. पटेल 1976 में कांग्रेस में शामिल होने के कुछ ही समय बाद गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए. 1977 से 1982 तक गुजरात की यूथ कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे. 1993 से राज्यसभा के सदस्य रहे हैं. पटेल कांग्रेस के जॉइंट सेकेट्री बने फिर प्रधानमंत्री राजीव गांधी के संसदीय सचिव बनाए गए. 2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत में अहमद पटेल की खास भूमिका समझी जाती है.
बाबरी मस्जिद विध्वंस
बाबरी मस्जिद प्रकरण के लिए पटेल ने नरसिम्हा राव को कभी माफ नहीं किया. बता दें कि अहमद धार्मिक होने के बावजूद वो दाढ़ी और शेरवानी जैसे धार्मिक चिह्नों से दूर ही रहते हैं. कांग्रेस पार्टी में उनकी छवि कोई बहुत प्रेरणादायक नेता का नहीं है. वह कोई करिश्माई नेता नहीं हैं वह बहुत साधारण से आदतों वाले सामान्य नेता हैं. नरेंद्र मोदी के बारे में उनकी राय है कि वह एक राजनीतिक चुनौती हैं. वह मानते हैं कि मोदी एक लोकप्रिय नेता हैं, उनके खिलाफ बयानबाजी करना नुकसानदेह साबित हो सकता है. अहमद पटेल मुखर होकर कभी सामने आकर राजनीति नहीं करते. वह पर्दे के पीछे रहकर राजनीति करने में विश्वास करते हैं.
विजय रूपाणी ने लगाए आरोप
अभी हाल ही में गुजरात के मुख्यमंत्री और भाजपा के नेता विजय रूपाणी ने अहमद पटेल पर गंभीर आरोप लगाया है. उनका आरोप है कि गुजरात एटीएस ने जिन चरमपंथियों को गिरफ्तार किया है, उनमें से एक व्यक्ति अहमद पटेल के अस्पताल में काम करता था. इस पर अहमद पटेल ने गृहमंत्री को एक चिट्ठी लिखकर मामले की गहनता से जांच करने की अपील की है. वह आगे कहते हैं कि अपनी जांच में आप धर्म को बीच में मत लाइयेगा. जो भी दोषी हो उसे सजा मिलनी चाहिए. वहीं उनका कहना है कि मुझ पर जो आरोप भाजपा ने लगाया है वह बेबुनियाद है. मैं इस जांच में पूरा सहयोग करने को तैयार हूं.
अहमद पटेल नहीं ‘बाबूभाई’
2017 में राज्यसभा चुनाव में भारी ड्रामा देखने को मिला. भाजपा ने पूरी ताकत लगा दी थी कि अहमद पटेल को हराकर रहना है, वहीं कांग्रेस ने भी इसे अपनी नाक का सवाल समझ कर हर हालत में जीत की कोशिश करती दिखी. अंत में परिणाम पटेल के पक्ष में जाता है और वह पांचवीं बार राज्यसभा पहुंचने में कामयाब रहते हैं. बता दें कि भरूच के लोग प्यार से अहमद पटेल को ‘बाबूभाई’ कहते हैं. उन्होंने 1976 में मेमूना अहमद से शादी की. अहमद की दो संताने हैं. एक बेटा और एक बेटी है, जो राजनीति से दूर रहते हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में वह क्या जादू चला पाएंगे यह तो वक्त ही बताएगा.