गुजरात. अहमदाबाद शहर के बीच बसा है शेला ग्राम पंचायत. गांव में एक तालाब है और कुछ कुंए हैं जिसमें शहर से आए गटर का पानी गिर रहा है जिससे पानी के स्राेत प्रदूषित हो रहे हैं. यह सिलसिला पिछले 10 साल से बदस्तूर जारी है. इसके साथ ही पंचायत के कई घरों में अब भी शौचालय की सुविधा नहीं है. वहीं, कई लोग ऐसे भी मिले जो घरों में शौचालय होने के बावजूद खुले में ही शौच जाते हैं.
ठाकोर का दबदबा
शेला पंचायत में ठाकोर का दबदबा है. पिछले तीन बार से ठाकोर समुदाय से पंचायत के सरपंच चुने गये हैं. पंचायत में ठाकोर के करीब 300 घर हैं. आबादी के लिहाज से मुसलमान दूसरे नंबर पर हैं. इसके अलावा हरिजन, रेवाड़ी और अन्य जातियां इस पंचायत में बसती हैं.
जमीन मालिक से बने मजदूर
शेला पंचायत के ज्यादातर युवा शहरों में मजदूरी करते हैं. बाकी आबादी खेती पर निर्भर हैं. रहीम भाई खेती-बाड़ी करते हैं. वे बताते हैं, “10-15 साल पहले यहां के कई लोगों ने अपनी जमीन बाहर वालों को बेच दी. बेचने से जो मिला वह कुछ सालों में खत्म हो गया. अब वे मजदूर बन गये हैं.”
पंचायत की राजनीति
शेला पंचायत सानंद(40) विधानसभा के अंतर्गत आता है. यहां से कांग्रेस से कमसी भाई पटेल विधायक चुने गये थे. छह महीने पहले उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया है. हालांकि उनके दल-बदल से भी उन्हें कोई फायदा नहीं दिख रहा है. पंचायत के ही एक भाजयुमो कार्यकर्ता ने बताया कि, “पांच सालों में उन्होंने पंचायत के लिये कुछ किया ही नहीं, ऐसे में भाजपा में जाने के बाद उन्हें पंचायत के लोग वोट देंगे ऐसा मुश्किल लगता है.”
युवाओं की एक शिकायत रोजगार की कमी
कांग्रेस और भाजपा दोनों के पास ग्रामीणों से वोट मांगने के लिये कोई ठोस ग्राउंड नहीं है. भाजपा समर्थक रमेश भाई ठाकोर कहते हैं कि पूरे पंचायत के लिये राशन कार्ड और मृत्यु कार्ड बन गये हैं, जिसको आधार बनाकर भाजपा के लिये वोट मांगा जायेगा.