नई दिल्ली. नई दिल्ली स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) ने स्ट्रोक के इलाज के लिए विकसित अत्याधुनिक डिवाइस Supernova Stent का देश का पहला क्लिनिकल ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा किया है। AIIMS के अनुसार, यह स्टेंट खासतौर पर भारत की विविध जनसंख्या को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है, जहां पश्चिमी देशों की तुलना में कम उम्र में स्ट्रोक के मामले सामने आते हैं।
AIIMS ने बताया कि Supernova Stent भारत का पहला ऐसा स्ट्रोक डिवाइस है, जिसे घरेलू क्लिनिकल ट्रायल के आधार पर मंजूरी मिली है। इससे पहले इस तकनीक का इस्तेमाल दक्षिण-पूर्व एशिया में 300 से अधिक मरीजों के इलाज में किया जा चुका है, जहां इसके सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं।
संस्थान ने यह भी स्पष्ट किया कि अब Supernova Stent का निर्माण देश में ही किया जाएगा, जिससे इलाज की लागत घटेगी और आधुनिक स्ट्रोक ट्रीटमेंट ज्यादा लोगों तक पहुंच सकेगा। यह उपलब्धि हर साल स्ट्रोक से प्रभावित होने वाले 17 लाख से अधिक भारतीय नागरिकों के लिए नई उम्मीद लेकर आई है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, यह पहल न केवल मेक इन इंडिया को बढ़ावा देगी, बल्कि भारत को उन्नत न्यूरो-इंटरवेंशनल तकनीकों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित होगी।
Supernova Stent क्या है?
Supernova Stent एक advanced neuro-interventional device है, जिसका इस्तेमाल acute ischemic stroke (दिमाग की नस में खून का थक्का जमने से होने वाला स्ट्रोक) के इलाज में किया जाता है। यह स्टेंट ब्रेन की ब्लॉक हुई आर्टरी में जाकर blood clot को हटाने में मदद करता है, जिससे दिमाग तक दोबारा रक्त प्रवाह शुरू हो सके।
AIIMS का क्लिनिकल ट्रायल क्यों है खास?
यह भारत का पहला stroke device है जिसे पूरी तरह घरेलू clinical trial data के आधार पर मंजूरी मिली
अब तक ज्यादातर स्ट्रोक डिवाइस विदेशी ट्रायल्स पर आधारित होते थे
यह ट्रायल भारत की genetic diversity, lifestyle और early-age stroke cases को ध्यान में रखकर किया गया
AIIMS के न्यूरोलॉजिस्ट्स के अनुसार, भारत में स्ट्रोक मरीजों की औसत उम्र पश्चिमी देशों की तुलना में 10–15 साल कम होती है, इसलिए देश-विशेष डिवाइस की जरूरत थी।
Southeast Asia में पहले ही हो चुका है इस्तेमाल
AIIMS ने बताया कि Supernova Stent से दक्षिण-पूर्व एशिया में 300+ मरीजों का इलाज किया जा चुका है,सफलता दर उत्साहजनक रही है Complication rate अंतरराष्ट्रीय standards के अनुरूप पाया गया
भारत में मैन्युफैक्चरिंग से क्या होंगे फायदे?
अब Supernova Stent का निर्माण देश में ही (Make in India) किया जाएगा, जिससे इलाज की लागत में भारी कमी आएगी
Imported devices पर निर्भरता घटेगी
सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में accessibility बढ़ेगी
Tier-2 और Tier-3 शहरों में भी advanced stroke treatment संभव होगा
भारत में स्ट्रोक की गंभीर स्थिति
हर साल भारत में करीब 17 लाख नए स्ट्रोक केस
इनमें से बड़ी संख्या में मरीज कामकाजी उम्र (40–55 साल) के
देर से इलाज मिलने के कारण disability और mortality rate ज्यादा
विशेषज्ञों का मानना है कि timely thrombectomy + advanced stent technology से हजारों जानें बचाई जा सकती हैं।
आगे की योजना क्या है?
Multicentric trials के जरिए देशभर में डेटा कलेक्शन
Supernova Stent को राष्ट्रीय स्ट्रोक प्रोटोकॉल में शामिल करने की तैयारी
सरकारी हेल्थ स्कीम्स (जैसे Ayushman Bharat) में कवर करने पर विचार
