सार्वजनिक विमानन कंपनी एयर इंडिया के परिसंपत्तियों के विनिवेश को सैद्धांतिक मंंजूरी मिल गयी है. बुधवार को कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया. वित्त मंत्री की अध्यक्षता में बनी समिति एयर इंडिया और उसकी पांच सब्सिडियरी कंपनी के विनिवेश के तौर-तरीके पर विचार करेगी. एयर इंडिया के परिसंंपत्तियों को सरकार के हाथों बेचने से सरकार को 25-27 करोड़ रूपये की कमाई होने की उम्मीद है.
सरकार ने एयर इंडिया के माली हालात को देखते हुए यह फैसला लिया है. एयर इंडिया 2007 से ही घाटे में चल रही है. रिपोर्टों के मुताबिक एयर इंडिया पर 52 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है.
समिति कर्ज से निपटने के तौर-तरीकों, कुछ परिसंपत्तियों को एक नयी कंपनी के हवाले करने, मुनाफे में चल रही तीन अनुषंगी कंपनियों को एयर इडिया से अलग कर बेचने और बिक्री के लिए हिस्सेदारी को तय करेगी.
एयर इंडिया की दो एयरलाइन सब्सिडियरी (एयर इंडिया एक्सप्रेस व एलायंस एयर) तथा छह सहायक सब्सिडियरी (होटल कारपोरेशन आफ इंडिया, एयर इंडिया चार्टर्स, एयर इंडिया एयरपोर्ट सर्विसेज, एयर इंडिया अलाइड सर्विसेज, एयर इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेज तथा एयर इंडिया ट्रांसपोर्ट सर्विसेज) हैं. एयर इंडिया के पास 140 हवाई जहाजों का बेड़ा है. एयर इंडिया के पास मुंबई में मुख्यालय भवन के अलावा 32 एकड़ जमीन है. इसके अलावा नई दिल्ली, लंदन, हांगकांग, नैरोबी, जापान तथा मारीशस में भी इसकी इमारतें हैं. घरेलू बाजार में एयर इंडिया की हिस्सेदारी 14 फीसदी है.
नीति आयोग ने विनिवेश से होने वाली कमाई को शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में खर्च करने की सिफारिश की है.