नई दिल्ली. दिल्ली की हवा खतरनाक स्तर पर पहुंचने के बीच केंद्र सरकार ने लोकसभा में प्रदूषण संकट पर विस्तृत चर्चा के लिए हामी भर दी है। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने शुक्रवार को कहा कि सरकार शुरुआत से ही सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर खुलकर बहस और समाधान खोजने के लिए तैयार है।
यह बयान उस समय आया है जब राष्ट्रीय राजधानी घने स्मॉग की चादर में लिपटी हुई है और एयर क्वालिटी ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई है।
सरकार चर्चा को तैयार: रिजिजू का बयान
जीरो आवर के दौरान उठी मांगों पर जवाब देते हुए किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार ने पहले ही दिन से अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी थी कि हम सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार हैं और सदस्यों जिसमें राहुल गांधी द्वारा नेतृत्व किया जा रहा प्रमुख विपक्ष भी शामिल है के सुझावों को शामिल करते हुए समाधान निकालना चाहते हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि कांग्रेस सदस्यों ने बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) में भी इस मुद्दे को उठाया है। रिजिजू ने कहा कि संसदीय नियमों और प्रक्रियाओं के आधार पर चर्चा के लिए समय आवंटन पर फैसला किया जाएगा।
दिल्ली में हवा ज़हरीली — AQI 332, कई इलाकों में ‘Severe’ स्तर
दिल्ली की वायु गुणवत्ता शुक्रवार को 332 के AQI के साथ ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रही।
30 मॉनिटरिंग स्टेशनों ने ‘Very Poor’ एयर क्वालिटी दर्ज की।
जहांगीरपुरी में AQI 405 पहुंच गया, जो ‘Severe’ श्रेणी में आता है।
CPCB के मानक:
0–50: Good
51–100: Satisfactory
101–200: Moderate
201–300: Poor
301–400: Very Poor
401–500: Severe
मौसम विभाग के अनुसार, तापमान और आर्द्रता के कारण हालात और बिगड़ रहे हैं। न्यूनतम तापमान 8°C और 100% आर्द्रता रही। शनिवार तक राहत की उम्मीद नहीं है।
राहुल गांधी: “यह राजनीतिक नहीं, मानवीय संकट है”
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने प्रदूषण संकट पर गैर-राजनीतिक, रचनात्मक और व्यापक चर्चा की मांग की।
उन्होंने कहा कि आज हमारे बड़े शहर जहरीली हवा की चादर में ढंके हुए हैं। करोड़ों बच्चे फेफड़ों की बीमारियों से जूझ रहे हैं। बुजुर्गों को सांस लेना मुश्किल हो रहा है। यह मुद्दा वैचारिक नहीं है, यह हमारे नागरिकों की जिंदगी का सवाल है।”
गांधी ने सुझाव दिया कि बहस का फोकस आरोप-प्रत्यारोप पर नहीं बल्कि भविष्य की रणनीति पर होना चाहिए एक अच्छा तरीका यह होगा कि हम चर्चा इस बात पर करें कि आने वाले 5-10 साल में हर प्रदूषित शहर के लिए व्यवस्थित योजना कैसे बनाई जाए।
उन्होंने कहा कि एक गहन बहस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी ‘सिस्टमैटिक प्लान’ बनाने में मदद कर सकती है।
