शिमला.अदाणी कंपनी के हिमाचल प्रदेश के बरमाणा और दाड़लाघाट स्थित सीमेंट प्लांट बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने के बाद शुक्रवार को दिनभर एसीसी प्रबंधन, ट्रांसपोर्टरों और कर्मचारियों में तनातनी रही. दोनों जगह प्लांट स्थल छावनी स्थल में बदल गए. पुलिस विभाग ने एहतियात बरतते हुए दो बटालियन बरमाणा कस्बे में तैनात कर दी हैं.
बरमाणा में कड़ी सुरक्षा के बीच एसीसी कंपनी के अधिकारी प्रशासन से वार्ता करने के लिए प्लांट स्थल से निकले. सारा विवाद माल ढुलाई भाड़ा कम करने का है. घाटे का हवाला देकर कंपनी माल ढुलाई भाड़ा कम करना चाह रही है, जिसे ट्रांसपोर्टर मानने को तैयार नहीं है. यहां दी बिलासपुर जिला ट्रक ऑपरेटर परिवहन सहकारी सभा (बीडीटीएस), लेबर विभाग और एसीसी प्रबंधन की साढ़े तीन घंटे तक चली बैठक बेनतीजा निकली. वीरवार को पुलिस के पांचवीं भारतीय आरक्षित वाहिनी (महिला) बस्सी और चौथी आईआरबीएन जंगलबेरी की बटालियन के जवान बरमाणा पहुंचे.
अदाणी कंपनी ने कहा- हर दिन हो रहा था 2.26 करोड़ का नुकसान
अदाणी समूह ने वीरवार शाम आधिकारिक बयान जारी किया है. अदाणी समूह के प्रवक्ता विकास ने कहा कि इन इकाइयों को प्रतिदिन 2.26 करोड़ का नुकसान हो रहा है. इसलिए प्लांट बंद करने पड़े. उन्होंने कहा कि अत्यधिक भाड़ा दरों की मांग करने वाले ट्रक यूनियनों के अड़ियल रुख के कारण दोनों प्लांट बंद करने को मजबूर हो रहे हैं.
साल 2005 का 6 रुपये किराया देने की बात कर रही कंपनी
सोलन जिला ट्रांसपोर्ट कार्यालय दाड़लाघाट के प्रधान जयदेव कौंडल ने कहा कि साल 2005 में एसीसी कंपनी में हिमाचल, पंजाब और हरियाणा के लिए माल ढुलाई भाड़ा प्रति किलोमीटर 6 रुपये था. उसके बाद अनुबंध के अनुसार दाम बढ़े जो वर्तमान में 11 रुपये प्रति किलोमीटर हैं. कंपनी चाहती है कि रेट दोबारा 6 रुपये किए जाएं. वहीं, बीडीटीएस के प्रधान जीत राम गौतम ने कहा कि बरमाणा में कंपनी को सीमेंट उत्पादन महंगा पड़ रहा है. लागत कम करने के लिए यह योजना बनाई कि सीमेंट पैकिंग के लिए अंबुजा और एसीसी दोनों के लिए एक ही बैग बनेगा. बैग अंबुजा का और अंदर सीमेंट एसीसी का होगा.
यार्ड में खड़े कर दिए ट्रक
बुधवार देरशाम कंपनी के बंद होने के निर्देशों के बाद सभी ऑपरेटरों ने अपने ट्रक यार्ड में खड़े कर दिए. हालांकि, सुबह 11:00 बजे तक यार्ड पूरी तरह से भर गया. उसके बाद ट्रक ऑपरेटरों ने सड़कों पर ट्रक खड़े करने शुरू कर दिए.
कई दिनों से चल रहा विवाद
अदाणी समूह ने बीते दिनों जारी एक पत्र में कंपनी में कार्यरत कर्मचारियों से कहा है कि ट्रक परिवहन कार्य या कंपनी में नौकरी का विकल्प चुनें. कंपनी प्रबंधन ने 15 नवंबर को एक सहमति पत्र जारी किया था और ट्रक को उनके या उनके परिवार के सदस्यों के स्वामित्व वाले ट्रकों का विवरण प्रस्तुत करने के लिए 90 दिनों का समय दिया था. कंपनी की नीति के अनुसार, कर्मचारी एक निश्चित अवधि के भीतर या तो इस्तीफा दें या अपने ट्रक को कंपनी से हटा दें.
सीएम के समक्ष रखा मुद्दा
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने प्रशासन को आदेश दिए हैं कि कंपनी से बात कर मामले का हल निकालें. अगर कंपनी 1992 के समझौते के अनुसार नहीं चलती और स्थानीय ट्रांसपोर्टरों को प्रताड़ित करने से बाज नहीं आई तो सरकार इस मामले में हस्तक्षेप कर कंपनी के खिलाफ कड़ा संज्ञान लेगी. कंपनी ने सिर्फ शेयर खरीदें हैं, मगर लोगों के हितों को नहीं खरीदा है. जनता के हितों की रक्षा करना सरकार का प्रथम दायित्व है– संजय अवस्थी विधायक अर्की.
ट्रक ऑपरेटर सभाओं की जिद से बंद करने पड़े उद्योग
अदाणी प्रबंधन ने प्लांट को बंद करने का ठीकरा ट्रक ऑपरेटरों के सिर फोड़ा है. अदाणी ग्रुप के प्रवक्ता विकास ने कहा कि रोजगार सृजन और राज्य के राजस्व में योगदान के बड़े कारण की अनदेखी करते हुए परिवहन संघों के प्रतिरोध के कारण एसीसी बरमाणा और दाड़लाघाट में समूह के संयंत्र कुछ समय से घाटे में चल रहे हैं.
अत्यधिक भाड़ा दरों की मांग करने वाली ट्रक यूनियनों के अड़ियल रुख के कारण वीरवार दोपहर 12:00 बजे से दोनों प्लांट बंद करने पर मजबूर हो रहे हैं. उन्होंने ट्रांसपोर्टरों की असंवेदनशीलता की कड़ी निंदा की और दाड़लाघाट क्षेत्र के आसपास 9,000 से अधिक लोगों और विभिन्न सामुदायिक विकास पहलों पर प्रभाव के लिए खेद जताया.
बरमाणा प्लांट बंद होने के बाद सामान समेटकर लौटने लगे प्रवासी कामगार
बरमाणा सीमेंट फैक्ट्री में काम बंद होने के बाद प्रवासी कामगारों ने पलायन शुरू कर दिया है. काम बंद होने से फैक्ट्री में काम करने वाले करीब 400 प्रवासी मजदूर लौट रहे हैं. कुछ कामगारों को आए कुछ दिन ही हुए थे. एडवांस में कमरे का किराया यह सोचकर दिया था कि अगले माह मानदेय मिलेगा तो भरण पोषण चल पड़ेगा, लेकिन महीना पूरा होने से पहले ही उन्हें घर जाने को कह दिया गया. एक तो मानदेय नहीं मिला, ऊपर से आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा.
प्लांट बंद होने से ठेके पर रखे गए करीब 800 कामगारों का काम छिन गया है. इन्हें रोजी-रोटी की चिंता सता रही है. ये मजदूर पैकिंग और लोडिंग सहित अन्य यूनिटों में शिफ्टों में काम करते हैं. 800 में से आधे कामगार बाहरी राज्यों के हैं.
अंबुजा के नालागढ़ स्थित प्लांट को नहीं कोई खतरा
भले ही अदाणी समूह ने दाड़लाघाट स्थित अंबुजा प्लांट बंद कर दिया है, मगर नालागढ़ के नवांग्राम स्थित अंबुजा सीमेंट प्लांट फिलहाल चल रहा है. यहां कंपनी ने कामगारों को किसी तरह का नोटिस नहीं दिया है. कंपनी प्रतिदिन पांच हजार टन माल तैयार कर रही है. नवांग्राम स्थित सीमेंट बनाने वाली कंपनी में करीब 200 कर्मचारी हैं. प्रतिदिन 1.20 लाख सीमेंट बैग तैयार होते हैं. यह एक ग्राइडिंग यूनिट है. इसमें क्लिंकर दाड़लाघाट से आता है. एक माह पूर्व भी दाड़लाघाट कंपनी में कामगारों की हड़ताल हो गई थी. उस दौरान एक सप्ताह तक क्लिंकर नहीं आया था. उस दौरान नवांग्राम स्थित कंपनी संचालकों ने रुड़की से क्लिंकर मंगवाया था और कंपनी को बंद नहीं होने दिया.
सरकार ने दिया नोटिस
हिमाचल सरकार अभी कूटनीतिक तरीके से मामला सुलझा रही है. उसके बाद भी यह मसला नहीं सुलझा तो सख्त तेवर अपना सकती है. इस विवाद के बढ़ने की स्थिति में प्रदेश की नवनियुक्त सरकार सीमेंट कंपनियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने की दिशा में मंथन कर रही है. राज्य सचिवालय के सूत्रों के अनुसार सीमेंट कंपनियों के उपजे इस विवाद पर सरकार की पैनी नजर बनी हुई है. सरकार ने इसके लिए उपायुक्तों को मध्यस्थता करने को कह दिया है. सीमेंट कंपनियों से कई बातें मनवाने के प्रयास किए जा रहे हैं.
जनहित को ध्यान में रखकर ही उपायुक्तों को बात करने को कह दिया गया है. अगर यह विवाद प्रदेश में सरकार के खिलाफ बड़ा मुद्दा बन जाता है तो सुखविंद्र सिंह सुक्खू सरकार पूरी तरह से एक्शन मोड में आ जाएंगे सुक्खू सरकार यह भी देख रही है कि विपक्ष इस मुद्दे पर किस तरह से प्रतिक्रिया देता है. सूत्रों के अनुसार इस संबंध में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू और उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री दिल्ली में हाईकमान के स्तर पर भी चर्चा कर चुके हैं. सीमेंट के रेट नियंत्रित न होने से प्रदेश सरकार पहले से ही दबाव में थी. अब कंपनियों और ट्रांसपोर्टरों के बीच खडे़ हुए विवाद ने सरकार के लिए नई अग्नि परीक्षा खड़ी कर दी है.