रविवार देर रात कांग्रेस ने गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 में 77 सीटों के लिए अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए. आइये, नज़र डालते हैं इस लिस्ट की कुछ खास बातों पर-
कच्छ-सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात की अधिकांश सीटें घोषित, उत्तर और मध्य गुजरात पर निर्णय में देर:
मौजूदा लिस्ट में कच्छ-सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात के जिलों की सीटों पर ही उम्मीदवारों की घोषणा की गयी है, जबकि उत्तर और मध्य गुजरात के जिलों पर निर्णय कुछ समय बाद लिया जायेगा. बताते चलें कि पाटीदार और कोली पटेल समुदाय के दबदबे वाले सौराष्ट्र के इलाके में कांग्रेस ने हालिया दिनों में बढ़त बनायी है. CSDS लोकनीति के हालिया सर्वे भी इस क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस को बराबर मजबूत माना था, जो भाजपा के लिए खतरे की घंटी है क्यूंकि उसके मुख्यमंत्री विजय रूपानी भी इसी क्षेत्र से हैं. वहीं आदिवासी बहुल दक्षिण गुजरात को कांग्रेस का पुराना गढ़ माना जाता रहा है, हालांकि हालिया दौर में भाजपा ने आदिवासी वोटरों में पैठ बनाने के जबरदस्त प्रयास किए हैं.
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सूरत जिले की 16 में से 15 सीटों पर प्रत्याशी घोषित
इस लिस्ट में सुरेंद्रनगर, मोरबी, पोरबंदर, अमरेली, बोताड, तापी, नवसारी, वलसाड़ आदि जिलों की लगभग सारी सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी गयी है. गुजरात में सबसे ज्यादा सीटों के मामले में दूसरे नंबर पर आने वाले (पहले नंबर पर अहमदाबाद जिला आता है जिसमें 21 सीटें हैं) सूरत जिले की 16 सीटों में से 15 पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी गयी है. सूरत भाजपा का पुराना गढ़ रहा है और 2012 विधानसभा चुनावों में भाजपा ने जिले की 16 में से 15 सीटें जीती थीं जबकि मात्र एक सीट कांग्रेस के खाते में गयी थी. मगर हालिया दौर में हुए कुछ बदलावों के चलते भाजपा का आधार दरकना शुरू हो गया. बताते चलें कि दक्षिण गुजरात में पाटीदार अनामत (आरक्षण) आन्दोलन का सबसे मजबूत केंद्र सूरत ही था, और GST के खिलाफ सबसे ज्यादा विरोध और आन्दोलन भी इसी जिले में हुए. हीरे और कपडे के व्यापार के लिए जाना जाने वाले सूरत में पाटीदार और वैश्य मतदाताओं का खासा दबदबा है जबकि कुछ सीटों पर अप्रवासी (मराठी और उत्तर भारतीय) वोटर भी भारी संख्या में हैं. कांग्रेस ने यहां तीन पूर्व या वर्तमान नगर निगम पदाधिकारियों को टिकट दिया है जबकि मराठी बहुल लिम्बायत सीट से पूर्व महापौर रविन्द्र पाटिल को उतारा है. पाटिल भाजपा के लोकसभा सांसद CR पाटिल के भूतपूर्व सहयोगी हैं और अब बगावत करके कांग्रेस से मैदान में हैं. कतारगाम-कामरेज और वाराच्छा रोड जैसे पाटीदार बहुल क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए पाटीदार प्रत्याशी उतारे गए हैं, जिनमें कुछ PAAS (पाटीदार अनामत आन्दोलन समिति) के पूर्व नेता भी हैं.
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रिपीट सिद्धांत
कुछ महीने पहले ही कांग्रेस ने साफ कर दिया था कि मौजूदा विधायकों को दोबारा मौका दिया जायेगा. जानकारों की मानें तो पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला के नाराज होकर कांग्रेस छोड़ने का एक कारण ये भी था क्योंकि वाघेला कई मौजूदा विधायकों को हटाकर उनकी सीटों पर अपने वफादार प्रत्याशी उतारना चाहते थे. वाघेला के जाने के बाद कुछ विधायक पार्टी छोड़ कर चले गए और वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के राज्यसभा चुनाव के दौरान भी क्रॉस वोटिंग को लेकर काफी उठा पटक हुई. इस सारे बवाल के बाद भी जो विधायक कांग्रेस के साथ मजबूती से खड़े हुए उन्हें वफादारी का लाभ मिला है और पार्टी ने “रिपीट सिद्धांत” का पालन करते हुए सभी 14 विधायकों को फिर से टिकट दिया है.
PAAS नेताओं को टिकट, पाटीदारों पर भरोसा; कोली पटेल समुदाय को रिझाने के लिए पूर्व सांसदों पर दांव
मौजूदा चुनाव में भाजपा से छिटककर कांग्रेस की और आते दिख रहे पाटीदार समुदाय पर पार्टी ने काफी भरोसा जताया है. अमरेली सीट से कांग्रेस ने सौराष्ट्र में पार्टी के पाटीदार चेहरे और सिटिंग विधायक परेश धनानी को फिर से मैदान में उतारा है. धनानी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के चार कार्यकारी अध्यक्षों में से एक हैं. वहीं मोरबी सीट से पाटीदार नेता और कई मंत्रियों के PA रह चुके ब्रजेश मेरजा पर फिर भरोसा जताया गया है. राजकोट की धोराजी सीट से PAAS के संयोजक और हार्दिक पटेल के करीबी माने जाने वाले पाटीदार नेता ललित वसोया को टिकट दिया गया है. अमरेली की ही लाठी सीट से पूर्व सांसद और वरिष्ठ पाटीदार नेता वीरजीभाई ठुम्मर को मैदान में उतारा गया है. तीन PAAS नेताओं को कांग्रेस का टिकट दिया गया है जबकि कुल पाटीदार उम्मीदवारों की संख्या लगभग डेढ़ दर्जन है.
इसके आलावा 11 प्रत्याशी आदिवासी समुदाय से हैं जबकि 7 प्रत्याशी दलित समुदाय से हैं. सौराष्ट्र के इलाके में खासा प्रभाव रखने वाले कोली पटेल समुदाय को रिझाने के लिए भी ख़ासा कवायद की गयी है. कोली पटेल बिरादरी के दो बड़े नेताओं और पूर्व सांसदों- सोमाभाई पटेल और कुंवरजी बावलिया को क्रमशः सुरेंद्रनगर की लिंबडी और राजकोट की जसदन सीटों से उतारा गया है.
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विहिप के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष के भतीजे को टिकट
विहिप के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष और कट्टर हिंदूवादी प्रवीण तोगड़िया के भतीजे प्रफुल तोगड़िया को कांग्रेस ने सूरत की वाराच्छा रोड सीट से मैदान में उतारा है. कुछ जानकर मानते हैं की पाटीदार आन्दोलन के दौरान इसी बिरादरी से आने वाले प्रवीन तोगड़िया ने भी दबे ढंके तौर पर इसका समर्थन किया था, और प्रवीन तोगड़िया ने आन्दोलन के दौरान इसमें बढ़चढ़ कर भागीदारी की थी. प्रफुल पाटीदार बहुल इस सीट के ही एक वार्ड से सूरत महानगर निगम में सभासद है और निगम में विपक्ष के नेता भी है.
संभावित मुख्यमंत्री प्रत्यशियों में से तीन उतरे मुकाबले में, चुनाव लड़ने से भरत सोलंकी का इनकार
मौजूदा समय में पार्टी के संभावित मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में से तीन का टिकट इस लिस्ट में घोषित कर दिया गया है. मूलतः भावनगर के रहने वाले पार्टी के प्रवक्ता और कच्छ की अब्दासा सीट से विधायक शक्तिसिंह गोहिल को कच्छ की ही मांडवी सीट से टिकट दिया गया है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और मेर समुदाय के नेता अर्जुन मोढ़वढिया अपनी पारंपरिक सीट पोरबंदर से दोबारा उतारे गए हैं. वहीँ पूर्व मुख्यमंत्री अमरसिंह चौधरी के बेटे और पार्टी का युवा आदिवासी चेहरा माने जाने वाले तुषार चौधरी सूरत जिले की महुआ ST सीट से मैदान में उतरे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल के बेटे और पाटीदार नेता सिध्धार्थ पटेल का टिकट इस लिस्ट में घोषित नहीं हुआ, क्योंकि उनकी सीट मध्य गुजरात के बरोड़ा जिले में आती है जहां उम्मीदवारों की घोषणा अभी बाकी है. इसके अलावा वर्त्तमान प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सांसद भरतसिंह सोलंकी ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री माधवसिंह सोलंकी के बेटे भरत सिंह भी मुख्यमंत्री पद के एक और संभावित प्रत्याशी माने जा रहे थे.
विरोध का दौर शुरू
पहली सूची के आते ही कांग्रेस में भी सर फुटौवल का दौर शुरू हो गया है. PAAS के कार्यकर्ताओं ने कम सीटें मिलने पर विरोध शुरू कर दिया है वहीं पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता भी नाराज बताये जा रहे हैं. चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन इस बात पर भी निर्भर करेगा कि आने वाले दिनों में पार्टी इस विरोध को काबू में ला भी पाती है या नहीं.
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