शिमला. बर्फबारी व बारिश होते ही सेब की फसल के लिए चिलिंग आवर मिलने शुरू हो गए हैं. साथ ही बागवान सेब के पौधों में खाद डालने के अतिरिक्त तौलिये भी कर पाएंगे. किसानों के लिए गेंहू व जौ की बिजाई का उपयुक्त समय शुरू हो गया है. जिन किसानों ने बारिश से पहले रवि की फसल की बिजाई कर दी थी, वह फसल इस बारिश से अंकुरित हो जाएगी. जबकि जो किसान बारिश के इंतजार में थे वह किसान बिजाई कर सकेंगे.
बरसात खत्म होने के बाद अब तक हिमाचल में बारिश नहीं हुई थी. महज एक दिन छिटपुट बारिश से केवल धूल मिट्टी ही बैठी थी. सही मायने में कहा जाए तो हिमाचल में अब वर्षा हुई है, जो कृषि व बागवानों के नजरिये से लाभदायक होगा. पिछले तीस वर्षों की तुलना में इन दिनों औसतन न्यूनतम तापमान दो से तीन डिग्री सेल्सियस कम है, जो कृषि बागवानी के लिए और भी अच्छे संकेत हैं.

वूली एफिड का आक्रमण होगा खत्म
बागवानी विशेषज्ञ एसपी भारद्वाज के मुताबिक बारिश व बर्फबारी से तापमान में गिरावट आई है. जिससे सेब के पौधे में आक्रमण करने वाले वूली एफिड नामक कीड़े से छुटकारा मिलेगा और पौधे खराब नहीं होंगे. तापमान कम होने से कीड़ा अब निष्क्रिय हो जाएगा. ऐसे में बारिश व 4 डिग्री सेल्सियस से नीचे तापमान में वूली एफिड की रूई धुल जाती है. जिससे इसे खत्म करने के लिए कीटनाषक की जरूरत नहीं रहती. 12 से 14 डिग्री सेल्सियस तापमान में यह कीड़ा जाग जाता है. 8 डिग्री सेल्सियस से नीचे यह जिंदा तो रहता है लेकिन इसकी सक्रियता समाप्त हो जाती है. जिससे चिंता की आवश्यकता नहीं रहती.
क्या है वूली एफिड
वूली एफिड एक ऐसा कीड़ा है जिसका रंग बैंगनी होता है इसके शरीर पर रूईनुमा सफेद पदार्थ होता है. जो एक तरह से कीड़े का सुरक्षा कवच होता है. वूली एफिड झुंड में रहता है और पौधे के कोमल भागों जैसे पत्ती, कोंपले, पौधे का फल, कटे-फटे भागों से रस चूसता है. जिससे पौधे का वह भाग कमजोर हो जाता है और वह अपना काम पूरा नहीं करता. नतीजतन फूल पूरा नहीं बनता साथ ही फूलों व फलों का आकार छोटा रह जाता है.

बागवान क्या करें
बागवानी विशेषज्ञ एसपी भारद्वाज का कहना है कि बारिश न होने के कारण सेब बागवान न तो बागीचे में खाद डाल पा रहे थे न ही तौलिये को छेड़ना संभव था. बारिश व बर्फबारी से सेब के पौधों में खाद डाली जा सकेगी और तौलिये करने का भी अच्छा वक्त है.
बागवानों के लिए विशेषज्ञ ने राय दी है कि सेब में सुपर फास्पेट खाद डालें व जिसके बाद तौलिये करें. तौलिया यानि पेड़ के चारों ओर की मिट्टी को नरम कर उसमें से खरपतवार और कंकड़ पत्थरों को बिनना जिससे पेड़ की जड़ों को बारिश का पानी और आवश्यक पोषक तत्व आसानी से उपलब्ध हो सके.
चूने का लेप व नीला थोथा लगाने की सलाह
अब जब मिट्टी बारिश से नमी उपयुक्त हो चुकी है तो ऐसे में खाद का जड़ों तक जाना आसान है. तौलिया करने के बाद बागवानी एक सेब के पौधे में एक से दो किलो गोबर की खाद डालें. तौलिया करने के बाद विशेषज्ञ ने बागवानों को पौधे के तने में चूने का लेप व नीला थोथा लगाने की सलाह दी है. तने की पहली शाखा जहां से निकलती है, वहां तक इसका लेप लगाया जाना चाहिए.
चिलिंग आवर
सर्दी की पहली बारिश व बर्फबारी से चिलिंग आवर मिलने शुरू हो गए हैं. 24 घंटे में तापमान 7 डिग्री सेल्सियस से नीचे औसतन हो तो चिलिंग आवर शुरू हो जाते हैं. सेब के पौधे के लिए 900 से 1200 घंटे तक के चिलिंग आवर मिलना जरूरी है. जबकि आडू व अन्य गुठलीदार पौधों के लिए यह आवर 400 घंटे के होने चाहिए. जिससे पत्ते, फूल व फलों की पैदावार अच्छी होगी.
 
								 
         
         
         
        