धर्मशाला. बचपन से लिखने के शौक ने मुझे लेखिका बना दिया. यह कहना है हाल ही में लांच हुई किताब ‘द लॉस्ट डॉटर’ की लेखिका डॉ. आंचल राणा अग्रवाल का. धर्मशाला में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान आंचल ने बताया कि यह कहानी दुष्कर्म पीड़ित एक युवती की है, जिसके इर्दगिर्द हमारे समाज के तमाम किरदार घूमते हैं.
दुष्कर्म का शिकार कोई भी हो सकता है और इस किताब में एक ऐसी लड़की की कहानी है जिसकी मां खुद एसीपी है. कहानी इसलिए भी रोमांचक हो जाती है कि घटना के बाद लड़की की याद्दाश्त चली जाती है. उसके असली गुनाहगारों तक पहुंचना पुलिस के लिए भी मुश्किल हो जाता है.
किताब की कहानी दुष्कर्म पीड़ित युवती की है
आंचल ने कहा कि इस कहानी में दुष्कर्म पीड़ित युवती की आगे की जिंदगी का भी वर्णन है कि वह किस तरह जीती है. इस घटना से उबरते हुए वह किस तरह सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ते हुए, इस तरह की पीड़ित महिलाओं के लिए समाज में मिसाल कायम करती है. क्योंकि कभी भी एक घटना से जिंदगी समाप्त नहीं हो जाती. परमेश्वर हमें हर दिन नई परिस्थिति में रखता है. समय चुपचाप गुजरता रहता है और परिवर्तन होते रहते हैं, लेकिन चमत्कार भी होते हैं. इसलिए हमें हारने की बजाए जीतने का प्रयास करते रहना चाहिए. यह आंचल की दूसरी किताब है जबकि इससे पहले उनकी किताब ‘हिट्स आफ लाइफ’ का ऑनलाइन संस्करण भी देश व् विदेशों में काफी प्रसिद्ध हुआ था.परवरिश का भी रहता है असर.
‘दुष्कर्म की खबरों से दिमाग में आई यह बात’
आंचल ने आगे कहा कि महिला हिंसा और अत्याचार के लिए काफी हद तक पारिवारिक पृष्ठभूमि और उससे भी ज्यादा परवरिश का असर रहता है. जब किसी बच्चे के सामने उसकी मां और बहन को सम्मान नहीं दिया जाएगा तो बड़ा होकर वह भी महिलाओं को तिरस्कार के योग्य ही समझेगा. दुष्कर्म की हर दिन की खबरों से आया विचार उन्हें इस विषय पर किताब लिखने का विचार हर दिन आने वाले दुष्कर्म के समाचारों से मिला.
छह महीने में लिखा इस किताब को
इस किताब को उन्होंने छह माह में लिखा है. उन्होंने इस किताब को अपनी मां को समर्पित करते हुए, इसे पूरा करने में अपने पति द्वारा दिए गए सहयोग का भी आभार जताया. गौरतलब है कि आंचल के पिता डॉ. आरएस राणा जिला कांगड़ा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं.
बेटी की उपलब्धि पर खुशी व्यक्त किया पिता ने
वहीं डॉ. राणा ने अपनी बेटी की उपलब्धि पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि हम सभी को बेटियों को पढ़ाना और आगे बढ़ाना चाहिए. जब बेटी मां-बाप का नाम रौशन करती है तो सबसे ज्यादा खुशी महसूस होती है. उन्होंने कहा की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं यदि हम लोग बेटियों को बचायेंगे तो बहुत सी आंचल राणा अग्रवाल पैदा होंगी जो अपने माता-पिता का सर गर्व से ऊंचा करके समाज के उत्थान व् कल्याण में अपनी अहम भूमिका अदा कर पाएंगी.