कांगड़ा(परागपुर). धरोहर गाँव परागपुर के सिक्खां दा ताल में चल रहे भागवत ज्ञानयज्ञ में तीसरे दिन कथावाचक पंडित सुमित शास्त्री ने राजा जड़भरत का प्रसंग वर्णन किया.
उन्होंने कहा कि स्वार्थी दुनिया विचित्र है जब तक स्वार्थ बना रहता है, सब बड़ा स्नेहपूर्वक व्यवहार करते हैं और जिस दिन स्वार्थ पूरा हो गया, उस दिन तू कौन और मैं कौन.
जब तक जड़भरत से भाइयों का स्वार्थ था तब तक अच्छा लगा और जिस दिन बोझ लगने लगा उसे घर से निकाल दिया. इसलिए कहा भी गया है चाहे देवता हो, मनुष्य हो, मुनि हो स्वार्थ के वशीभूत सबकी प्रीती होती है. कथा के बीच सुन्दर भजन लग्न हरि से लगा बैठे … ने आए हुए भक्तों को झुमा दिया.