नई दिल्ली. Election Commission of India (ECI) ने West Bengal सरकार से कहा है कि वह Chief Electoral Officer (CEO) कार्यालय को राज्य के अन्य विभागों से स्वतंत्र करते हुए एक Autonomous Election Department बनाए। इसका मकसद CEO को पूर्ण वित्तीय और प्रशासनिक स्वतंत्रता देना है ताकि चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके।
मौजूदा स्थिति में स्वायत्तता का अभाव
चुनाव आयोग के अवर सचिव Ashutosh M द्वारा 22 जुलाई को भेजे गए पत्र में बताया गया कि CEO कार्यालय फिलहाल State Home and Hill Affairs Department के अधीन एक शाखा के रूप में कार्यरत है, जबकि CEO का पद Additional Chief Secretary के बराबर है। इस कार्यालय का बजट Finance Department से एक सीमित अग्रिम (small fixed advance) के जरिए चलता है, जिससे इसकी Administrative और Financial autonomy गंभीर रूप से प्रभावित होती है।
चुनाव आयोग के Structural Reforms सुझाव
Election Commission ने Bengal चुनाव विभाग की संस्थागत और कार्यात्मक स्वतंत्रता मजबूत करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने की सिफारिश की है: Dedicated Budget Head का गठन करना CEO को Additional Chief Secretary, Principal Secretary या Secretary स्तर के वित्तीय अधिकार प्रदान करना Financial Advisor की नियुक्ति जो कुशल प्रशासन में मदद करे चार vacant posts (Additional/Joint/Deputy CEO) को Election Commission की सलाह से तुरंत भरना
SIR प्रक्रिया और राजनीतिक विवाद
यह कदम ऐसे समय आया है जब Bengal की ruling Trinamool Congress समेत अन्य opposition parties ने बिहार में Election Commission द्वारा किए गए Special Intensive Revision (SIR) पर सवाल उठाए हैं। बिहार में 52.3 लाख से अधिक मतदाता मृत पाए गए, कहीं स्थानांतरित हुए या पंजीकरण में त्रुटि मिली, जो कुल वोटरों का लगभग 6.62% है। इसी तरह की प्रक्रिया को लेकर Trinamool Congress ने Bengal में विरोध जताया है।