नई दिल्ली: संसद के संविधान सदन में बुधवार को संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित ऐतिहासिक कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय संविधान के डिजिटल संस्करण का 9 भारतीय भाषाओं में अनुवाद जारी किया। इन भाषाओं में शामिल हैं — मलयालम, मराठी, नेपाली, पंजाबी, बोडो, कश्मीरी, तेलुगु, ओड़िया और असमिया।
उपराष्ट्रपति ने तमिल भाषा में संबोधन की शुरुआत
कार्यक्रम की शुरुआत उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने अपनी मातृभाषा तमिल में संबोधन के साथ की। यह कार्यक्रम संविधान दिवस के 75 वर्ष पूरे होने पर आयोजित किया गया था। उन्होंने संविधान निर्माताओं को नमन करते हुए कहा कि हमारे संविधान का हर पृष्ठ राष्ट्र की आत्मा को दर्शाता है। यह दस्तावेज़ सामूहिक बुद्धिमत्ता, अनुभवों, त्याग और आजादी के लिए संघर्ष की भावनाओं से बना है। उन्होंने आगे कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर, डॉ. राजेंद्र प्रसाद और संविधान सभा के अन्य सदस्यों की दूरदर्शिता ने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बनाया।
कार्यक्रम में शीर्ष नेतृत्व की मौजूदगी
इस अवसर पर:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
केंद्रीय मंत्री
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे
विपक्षी नेता राहुल गांधी
भी उपस्थित रहे।
ओम बिड़ला ने संविधान निर्माताओं को दी श्रद्धांजलि
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा:
“यह वही पवित्र स्थल है जहां संविधान पर गहन चर्चा और विचार-विमर्श के बाद देश की आकांक्षाओं को स्वर दिया गया। यही संविधान हर नागरिक को न्याय, समानता, स्वतंत्रता और गरिमा की गारंटी देता है।”
उन्होंने कहा कि संविधान के मार्गदर्शन में भारत ने सात दशकों में सुशासन, सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में बड़ा सफर तय किया है।
प्रस्तावना का सामूहिक वाचन
कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति ने संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ करवाया।
विशेष स्मारिका भी जारी
कार्यक्रम में “Art and Calligraphy in the Indian Constitution” शीर्षक से एक विशेष स्मारिका भी जारी की गई, जिसमें संविधान की कलात्मक सुंदरता और शिल्प शैली का दस्तावेजीकरण किया गया है।
संविधान दिवस क्यों मनाया जाता है?
26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंगीकार किया था। यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ और भारत एक संप्रभु गणराज्य बना। इस दिन को लोकतंत्र, न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे की मूल भावना का उत्सव माना जाता है।
