नई दिल्ली:चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचार के लिए प्रिंट मीडिया में छपे जाने वाले सभी विज्ञापनों के लिए नए नियम जारी किए हैं। आयोग ने सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को निर्देश दिया है कि वे किसी भी प्रिंट विज्ञापन को छापने से पहले Media Certification and Monitoring Committee (MCMC) से मंजूरी (pre-certification) लें।
चुनाव आयोग का कहना है कि यह कदम चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष बनाने के लिए उठाया गया है। बिहार में पहले चरण के लिए 5 और 6 नवंबर और दूसरे चरण के लिए 10 और 11 नवंबर को प्रिंट विज्ञापनों पर यह नियम लागू होगा।
बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में होंगे
जिन उम्मीदवारों और दलों को विज्ञापन के लिए मंजूरी चाहिए, उन्हें कम से कम दो दिन पहले MCMC में आवेदन जमा करना होगा। आयोग ने यह भी कहा कि समय पर मंजूरी सुनिश्चित करने के लिए MCMC को सक्रिय किया गया है ताकि विज्ञापन जल्दी जांचे और मंजूरी दी जा सके।
बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में होंगे – पहला चरण 6 नवंबर को और दूसरा चरण 11 नवंबर को।
चुनाव आयोग ने यह कदम निष्पक्ष और साफ-सुथरे चुनावी माहौल को सुनिश्चित करने के लिए उठाया है। इसके पीछे मुख्य कारण ये हैं:
भ्रष्ट प्रचार और गलत सूचना को रोकना:
प्री-पोल और पोल-डे के दौरान कई बार राजनीतिक दल या उम्मीदवार गलत जानकारी या भड़काऊ सामग्री वाले विज्ञापन प्रकाशित कर देते हैं। पूर्व-प्रमाणीकरण (pre-certification) से यह सुनिश्चित होता है कि कोई भी विज्ञापन जनता को गुमराह न करे।
समान अवसर प्रदान करना
सभी दलों और उम्मीदवारों के विज्ञापनों की जांच एक समान नियम और प्रक्रिया के तहत होती है, जिससे कोई दल अनुचित लाभ नहीं ले सकता।
समय पर निर्णय और नियंत्रण
MCMC के सक्रिय होने से विज्ञापनों की जांच समय पर हो जाती है और किसी विवाद या शिकायत को जल्दी सुलझाया जा सकता है।
नियमों का पालन
भारत में चुनाव कानून के तहत चुनाव के दौरान प्रचार संबंधी कई नियम होते हैं। इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होता है कि कोई दल या उम्मीदवार नियमों का उल्लंघन न करे। , यह कदम ईमानदार, पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
