नई दिल्ली. साल 2012-16 के चार सालों में 5 राष्ट्रीय राजनीतिक दलों ने बिना पैन कार्ड के 384 करोड़ रुपये चंंदे में प्राप्त किये हैं. वहीं, 1500 से अधिक दानदाताओं से 355 करोड़ प्राप्त किया है जिनका कोई पता-ठिकाना नहींं है. इन चार सालों में केवल भारतीय जनता पार्टी ने बगैर आधार और पैन कार्ड के 159 करोड़ रुपया दान में लिया है. एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म) एनजीओ द्वारा जारी रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है.
याद रहे कि केन्द्र में भाजपा की सरकार है और मौजूदा सरकार का ‘आधार’ के प्रति अनिवार्य प्रेम जगजाहिर है.
देश की राष्ट्रीय पार्टियों को वित्तीय वर्ष 2012 से 16 के बीच कुल 95, 677 करोड़ रुपए चंदे में मिले हैं. कुल मिले चंदे में भारतीय जनता पार्टी को सबसे ज्यादा लगभग 705 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं. जबकि सबसे कम चंदे की रकम भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(भाकपा) को मिले. भाकपा को महज 18 लाख रुपया चंदे से प्राप्त हुई है. वर्तमान में देश की 7 राजनीतिक दलों को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है. चंदा प्राप्त करने वाली पार्टियों में कांग्रेस दूसरे नंबर पर है जबकि तीसरे और चौथे नंबर पर शरद पवार की राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी है.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म(एडीआर) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक कांग्रेस को 198.16 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं. चंदे की यह रकम 167 कॉरपोरेट और कारोबारी समूहों से प्राप्त हुई.
राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी(एनसीपी) को 50 दानदाताओं से कुल 50.73 करोड़ रुपया मिला है. दो अन्य राष्ट्रीय पार्टी माकपा को 1.89 करोड़ और भाकपा को 18 लाख रुपये मिले हैं.
वहीं, बसपा ने कहा कि उन्हे 20 हजार से कम के दान मिले हैं. मालूम हो कि राजनीतिक पार्टियों को मिले 20 हजार से अधिक दानराशि में दाताओं के नाम और राशि का ब्यौरा चुनाव आयोग को देना होता है. एडीआर ने जो डाटा जारी किया है वह 20 हजार से अधिक मिले दान का है.
वित्तीय वर्ष 2012-13 से 2015-16 के बीच सबसे अधिक चंदा सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट ने दिया है. ट्रस्ट ने भाजपा को 192.6 करोड़, कांग्रेस को 57.25 करोड़ और राकपा को 10 करोड़ रुपये दान दिये.
राजनीतिक दलों को मिले चंदे में 89 फीसदी कॉरपोरेट से आया है.
साल 2004 से 2012 तक राष्ट्रीय पार्टियों को 378.89 करोड़ रुपये का चंदा मिला. वहीं, 2012 से 2015 के बीच दान की राशि बढ़कर 198.16 करोड़ हो गयी. इसमें सबसे अधिक वृद्दि वित्त वर्ष 2014-15 में देखने को मिला. इसी वर्ष देश में लोकसभा चुनाव भी हुआ था.
सीपीएम और सीपीआई को एसोसिएसन और यूनियन से ज्यादातर चंदे की राशि मिली है. 2012 से 2015 के बीच मिले चंदे में सीपीएम की 17 फीसदी और सीपीआई की सिर्फ 4 फीसदी हिस्सेदारी रही.
एडीआर के मुताबिक, राजनीतिक पार्टियों को ऐसी 262 कॉरपोरेट कंपनियों से चंदे मिले हैं, जिनका कोई अता-पता नहीं है. ज्यादातर कंपनियों का वेब पता नहीं है या कोई संपर्क नंबर नहींं है या उनके काम की प्रकृति का पता नहीं चल पा रहा है.
भारत में 7 राजनीतिक पार्टियों को राष्ट्रीय दल का दर्जा प्राप्त है. उनमें कांग्रेस, भाजपा, बहुजन समाजवादी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी, तृणमूल कांग्रेस पार्टी शामिल हैं. केन्द्रीय सूचना आयोग ने राष्ट्रीय दलों को आरटीआई के दायरे में लाने की बात कही थी. जिसका विरोध सीपीआई को छोड़कर सभी पार्टियों ने किया था. विरोध के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया.