नई दिल्ली. भारत में न्यायपालिका से जुड़े एक बड़े विवाद के तहत, Justice Yashwant Verma Controversy ने राजनीतिक हलकों और संसद में हलचल मचा दी है। Lok Sabha अब उनके खिलाफ Impeachment Process शुरू करने जा रही है। आरोप है कि दिल्ली स्थित वर्मा के आवास पर आग लगने के बाद, वहां partially burnt currency notes के बंडल पाए गए थे, जिससे यह पूरा मामला तूल पकड़ गया।
Opposition का प्रस्ताव खारिज, Lok Sabha में होगा आगे का ऐक्शन
21 जुलाई को, Rajya Sabha में विपक्ष द्वारा वर्मा को हटाने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया गया था, जिसे Vice President Jagdeep Dhankhar ने स्वीकार किया, लेकिन बाद में Rajya Sabha Secretariat ने उस नोटिस को औपचारिक रूप से स्वीकार नहीं किया। वहीं उसी दिन Lok Sabha को एक bipartisan notice मिला, जिस पर 152 सांसदों के हस्ताक्षर थे। इसके बाद तय हुआ कि कार्रवाई अब लोकसभा से शुरू की जाएगी।
Union Minister Kiren Rijiju ने पुष्टि की है कि सभी दलों ने इस मामले में एकजुट होकर आगे बढ़ने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि लोकसभा में जांच की प्रक्रिया शुरू होगी, इसमें कोई संशय नहीं है।
क्या है Judge Inquiry Act और कैसे हटाए जाते हैं जज?
Judge (Inquiry) Act के तहत, जब संसद के दोनों सदनों में किसी न्यायाधीश के खिलाफ गंभीर आरोपों का नोटिस पेश किया जाता है, तो एक three-member inquiry committee बनाई जाती है। इसमें शामिल होते हैं:
सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश या भारत के मुख्य न्यायाधीश
किसी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
एक प्रतिष्ठित न्यायविद (Eminent Jurist)
Speaker Om Birla जल्द ही इस समिति की घोषणा कर सकते हैं, जो Justice Verma Investigation को लीड करेगी।
आखिर क्यों हुआ विवाद?
Justice Yashwant Varma पर संदेह तब गहराया जब दिल्ली स्थित उनके आवास के बाहर आग लगी और वहाँ burnt cash bundles मिले। इस घटना के बाद, तत्कालीन CJI संजीव खन्ना ने तीन जजों की एक आंतरिक जांच समिति गठित की, जिसने वर्मा पर आरोपों को सही पाया।
हालांकि, Justice Verma ने अपने innocence का दावा किया है और Supreme Court में इस फैसले को चुनौती भी दी है। इसके बावजूद, Transfer to Allahabad High Court के बावजूद उन्होंने resignation नहीं दिया, जिसके बाद रिपोर्ट प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भेजी गई।
अब आगे क्या होगा?
अगर तीन सदस्यीय समिति आरोपों को साबित करती है और दोनों सदन प्रस्ताव को two-thirds majority से पारित करते हैं, तो President of India न्यायाधीश को पद से हटा सकते हैं।
Justice Verma का मामला भारत में न्यायपालिका और संसद के बीच संतुलन को लेकर गंभीर सवाल उठाता है। यह Judicial Accountability, Political Consensus, और Legal Framework की एक अहम परीक्षा बन चुका है। अब सबकी नजरें Lok Sabha की आगामी कार्यवाही और जांच समिति की रिपोर्ट पर टिकी हैं।