नई दिल्ली. Caste Census 2026: भारत सरकार ने 1 अक्टूबर 2026 से जाति जनगणना (Caste Census) शुरू करने की आधिकारिक घोषणा की है। यह ऐतिहासिक कवायद दो चरणों में पूरी की जाएगी और 1931 के बाद यह पहली बार होगा जब पूरे देश में जातियों की गिनती की जाएगी। आइए समझते हैं कि यह जनगणना आखिर क्यों जरूरी हो गई, आखिरी बार कब हुई थी, और इसके सामाजिक-राजनीतिक मायने क्या हैं।
जाति जनगणना 2026 कब और कैसे होगी?
गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) ने बताया है कि Caste Census 2026 को दो चरणों में किया जाएगापहला चरण: जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे पर्वतीय राज्यों में 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगा। दूसरा चरण: देश के बाकी हिस्सों में 1 मार्च 2027 से जनगणना की प्रक्रिया चलेगी।
जनगणना के लिए Reference Date हिमालयी राज्यों के लिए 1 अक्टूबर 2026 और अन्य राज्यों के लिए 1 मार्च 2027 को निर्धारित की गई है।
भारत में जाति जनगणना की आखिरी बार कब हुई थी?
भारत में आखिरी संपूर्ण जाति आधारित जनगणना 1931 में ब्रिटिश शासन के दौरान हुई थी। उस समय के आंकड़ों के अनुसार, Other Backward Classes (OBC) की जनसंख्या कुल आबादी का लगभग 52% थी। इस आंकड़े ने बाद में मंडल आयोग (Mandal Commission Report, 1980) की नींव रखी, जिससे ओबीसी के लिए 27% आरक्षण की सिफारिश की गई।
जाति जनगणना क्यों हो रही है फिर से? | Why Caste Census is Needed Again?
1. सामाजिक न्याय और आरक्षण नीतियां
जाति जनगणना से पता चलेगा कि कौन-से समुदाय वास्तव में हाशिए पर हैं और किन्हें education, employment और welfare schemes में आरक्षण की ज़रूरत है।
2. साक्ष्य आधारित नीति निर्माण
जाति आधारित आंकड़े सरकार को शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और सामाजिक सुरक्षा में inequality को समझने और दूर करने में मदद करेंगे।
3. राजनीतिक प्रतिनिधित्व
Detailed caste data से यह स्पष्ट होगा कि किन जातियों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व कम मिला है, जिससे inclusive governance को बढ़ावा मिलेगा।
4.राज्य-स्तरीय दबाव
बिहार और तेलंगाना जैसे राज्यों ने स्वतंत्र जाति सर्वेक्षण (State Caste Surveys) करके यह दिखा दिया है कि इस तरह की डेटा कलेक्शन व्यावहारिक रूप से संभव और उपयोगी है।
5. सामाजिक-आर्थिक अंतर को पाटना
आज भी भारत में जाति, access to resources and opportunities तय करने में बड़ी भूमिका निभाती है। बिना सटीक डेटा के, किसी भी प्रकार की targeted policy intervention संभव नहीं है।
जाति जनगणना और सामान्य जनगणना में क्या फर्क है?
General Population Census में लोगों की कुल संख्या, लिंग, आयु, साक्षरता, आवास जैसी सूचनाएँ ली जाती हैं। वहीं, Caste Census में यह डेटा जातीय पहचान के साथ जोड़ा जाता है – जैसे व्यक्ति किस जाति से है, वह जाति किस सामाजिक-आर्थिक श्रेणी में आती है, इत्यादि।
सरकार क्या कह रही है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 30 अप्रैल 2025 को कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स ने इस योजना को मंजूरी दी थी। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह कार्य पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ किया जाएगा। साथ ही, COVID-19 महामारी के कारण 2021 में रुकी हुई जनगणना को भी अब 2026-27 में पूरा किया जाएगा।