नई दिल्ली. भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत काम करने वाली संस्था एपीडा (APEDA) ने छत्तीसगढ़ से पहली बार फोर्टिफाइड राइस कर्नल (Fortified Rice Kernel – FRK) का 12 मीट्रिक टन माल कोस्टा रिका भेजने में मदद की है। यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “कुपोषण मुक्त भारत” (Kuposhan Mukt Bharat) अभियान को विदेशों तक पहुंचाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
इस पहल का मकसद है कि भारत में जो पोषित चावल (Fortified Rice) लोगों को दिया जा रहा है, वही पौष्टिक चावल अब दूसरे देशों तक भी पहुंचे। इससे न केवल भारत की छवि एक पोषण संपन्न देश के रूप में बनेगी, बल्कि किसानों, चावल मिल संचालकों और निर्यातकों को भी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहचान मिलेगी।
‘कुपोषण से लड़ने के मिशन’
एपीडा के चेयरमैन अभिषेक देव ने इस सफलता पर कहा कि फोर्टिफाइड चावल का निर्यात भारत की कृषि उत्पादों की ताकत दिखाता है और यह हमारे ‘कुपोषण से लड़ने के मिशन’ को वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ाता है। छत्तीसगढ़ राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मुकेश जैन ने भी एपीडा का धन्यवाद करते हुए बताया कि आगे और देशों में इस तरह के पौष्टिक चावल के निर्यात की योजना बनाई जा रही है।
क्या है फोर्टिफाइड राइस कर्नल (FRK)?
फोर्टिफाइड चावल दरअसल साधारण चावल नहीं होता। इसमें चावल के आटे में आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन B12 जैसे पोषक तत्व मिलाए जाते हैं, फिर इसे चावल के दाने जैसी आकृति दी जाती है। बाद में इसे सामान्य चावल के साथ मिलाकर लोगों को दिया जाता है ताकि उनके आहार में ज़रूरी पोषण शामिल हो सके।
इस पहले निर्यात से भारत ने दुनिया को दिखाया है कि वह तकनीक, पोषण और गुणवत्ता के मामले में किसी से पीछे नहीं है। यह उपलब्धि एपीडा, छत्तीसगढ़ सरकार और निजी क्षेत्र के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है।
