नई दिल्ली. राज्यसभा में मंगलवार को सुरक्षा व्यवस्था को लेकर विपक्ष और सरकार के बीच तीखी नोकझोंक हुई। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सदन में CISF personnel की मौजूदगी पर सवाल उठाते हुए इसे “आपत्तिजनक और अलोकतांत्रिक” बताया। खड़गे ने उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि विपक्षी दलों के विरोध प्रदर्शन के दौरान सदन के वेल में CISF जवानों को दौड़ाया गया।
खड़गे ने कहा कि हम सदन में सीआईएसएफ के जवानों को इस तरह दौड़ते देख स्तब्ध हैं। क्या हमारी संसद इस स्तर तक गिर गई है? यह लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है। उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं अरुण जेटली और सुषमा स्वराज का उदाहरण देते हुए कहा कि दोनों ने विपक्ष के नेता के रूप में व्यवधानों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा माना था।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष के दावों को बताया भ्रामक
खड़गे के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए किरण रिजिजू ने कहा कि उस दिन केवल सदन में मार्शल ही मौजूद थे, न कि कोई CISF personnel या पुलिस। रिजिजू ने आरोप लगाया कि विपक्ष ने झूठे तथ्य प्रस्तुत कर सदन को गुमराह किया। उन्होंने कहा,
“सिर्फ मार्शल को ही सदन में प्रवेश की अनुमति है। विपक्षी नेता ने गलत जानकारी देकर सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाई है।”
जेपी नड्डा ने विपक्ष को दिया ‘ट्यूशन’ का सख्त संदेश
संसद के नेता और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने विपक्ष के नेताओं की आलोचना करते हुए कहा,
“मैंने विपक्ष में 40 साल बिताए हैं। उन्हें मुझसे सदन के शिष्टाचार और व्यवहार पर ट्यूशन लेनी चाहिए। मैं उन्हें बताऊंगा कि विपक्ष को कैसा व्यवहार करना चाहिए।”