नई दिल्ली. Supreme Court of India ने हाल ही में bulldozer justice यानी बिना कानून प्रक्रिया के Retributive Demolition पर एक अहम फैसला सुनाया है। Chief Justice of India (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में आई इस टिप्पणी में कहा गया है कि executive authorities कभी भी न्यायपालिका की भूमिका नहीं निभा सकतीं। यानी सरकारें judge, jury और executioner नहीं बन सकतीं।
क्या था Supreme Court का Observations?
Chief Justice बीआर गवई ने एक हालिया कार्यक्रम के दौरान कहा कि कुछ राज्यों में आरोपियों के घर और संपत्तियों को बिना अदालत का आदेश मिले ही ध्वस्त किया जा रहा है, जो सीधे तौर पर Article 21 – Right to Shelter and Life का उल्लंघन है। उन्होंने साफ कहा, “सरकारें कानून के बाहर जाकर न्याय नहीं कर सकतीं। Due Process of Law सबसे ज़रूरी है।”
Fundamental Rights की सुरक्षा ज़रूरी: CJI Gavai
CJI गवई ने यह भी कहा कि भारतीय संविधान सिर्फ civil liberties (नागरिक स्वतंत्रता) की रक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कमजोर तबकों की dignity, safety और welfare की भी गारंटी देता है। ऐसे में मनमानी कार्रवाई, जिसमें किसी को अदालत में दोषी ठहराए बिना ही सज़ा दी जाए, पूरी तरह से असंवैधानिक है।
‘Rule of Law’ को किया गया मजबूत
CJI ने जोर देकर कहा कि Rule of Law in India को बनाए रखना न्यायपालिका की प्राथमिक जिम्मेदारी है। इस प्रकार के फैसलों से यह स्पष्ट होता है कि लोकतंत्र में कानून सबसे ऊपर है और कोई भी कार्यपालिका (Executive), न्यायपालिका की भूमिका नहीं निभा सकती।
भारत में Constitution का 75 सालों का योगदान
Chief Justice बीआर गवई ने यह बातें Milan Appellate Court में “भारतीय संविधान के 75 वर्षों की भूमिका” विषय पर बोलते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान ने देश में social and economic justice को बढ़ावा दिया है और आज भी न्यायपालिका इस दिशा में पूरी ताकत से काम कर रही है।