दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने कहा कि उनके घर पर नकदी मिलने के आरोप पूरी तरह से झूठे हैं। उनका मानना है कि यह उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने और उन्हें गलत तरीके से फंसाने की एक सोची समझी साजिश है। न्यायमूर्ति वर्मा ने दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय को दिए अपने जवाब ये सब बाते कही ।
उनसे भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना द्वारा शुरू की गई इन-हाउस जांच के बाद मामले को स्पष्ट करने के लिए कहा गया था। न्यायमूर्ति वर्मा ने स्पष्ट किया कि आग संपत्ति के उस हिस्से में लगी जो उनका मुख्य आवास नहीं है। आग एक आउटहाउस में लगी थी जिसका इस्तेमाल पुरानी और बेकार चीजों को रखने के लिए स्टोररूम की तरह किया जाता है, न कि उनके वास्तविक घर में।
यशवंत वर्मा ने कथित नकदी से किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया
न्यायमूर्ति वर्मा ने कथित नकदी से किसी भी तरह के संबंध से इनकार करते हुए कहा कि मैं इस बात को सिरे से खारिज करता हूं कि हमने स्टोररूम से नकदी निकाली थी। हमें न तो जली हुई मुद्रा की बोरियां दिखाई गईं और न ही दी गईं। घटना के दौरान बरामद सीमित मलबा आवास के एक खास हिस्से तक ही सीमित था और वहां किसी भी तरह की मुद्रा का कोई सबूत नहीं मिला।
व्यक्तिगत नुकसान पर विचार करते हुए न्यायमूर्ति वर्मा ने बताया कि किस तरह आरोपों ने एक दशक से अधिक के करियर को दागदार कर दिया है।
मेरी प्रतिष्ठा को बहुत नुकसान पहुंचा है : न्यायमूर्ति वर्मा
उन्होंने अपने बयान में कहा कि इस घटना ने मेरी प्रतिष्ठा को बहुत नुकसान पहुंचाया है, जिसे मैंने हाईकोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर कड़ी मेहनत से बनाया है। बेंच पर मेरे वर्षों के कार्यकाल में, मेरे खिलाफ कभी कोई आरोप नहीं लगाया गया है, न ही मेरी ईमानदारी पर कभी सवाल उठाया गया है। मैं अपने न्यायिक आचरण की जांच का अनुरोध करता हूं और कानूनी बिरादरी से मेरी ईमानदारी और मेरे कर्तव्यों के प्रति समर्पण का आकलन करने का आग्रह करता हूं।
उन्होंने दोहराया कि उन्हें और उनके परिवार को घर में कथित रूप से रखे गए किसी भी पैसे के बारे में पूरी तरह से जानकारी नहीं थी।
न्यायमूर्ति वर्मा ने स्पष्ट किय कि न तो मुझे और न ही मेरे परिवार को नकदी के बारे में कोई जानकारी थी उस दुर्भाग्यपूर्ण रात को मेरे परिवार के सदस्यों या कर्मचारियों को ऐसी कोई मुद्रा कभी नहीं दिखाई गई। आरोप पूरी तरह से निराधार हैं और हमसे संबंधित नहीं हैं।
मेरे वित्तीय लेन-देन नियमित बैंकिंग चैनलों के माध्यम से किए गए: वर्मा
अपने बचाव में, न्यायमूर्ति वर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि उनके सभी वित्तीय लेन-देन नियमित बैंकिंग चैनलों, जिसमें यूपीआई एप्लिकेशन और कार्ड शामिल हैं, के माध्यम से किए गए थे। उन्होंने एक महत्वपूर्ण विवरण भी बताया।
जब अग्निशमन कर्मियों और पुलिस ने अपना अभियान समाप्त करने के बाद साइट हमें वापस सौंपी, तो हमें किसी भी मुद्रा का कोई सबूत नहीं मिला।