नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बिहार में चल रही Special Intensive Revision (SIR) drive को रोकने से इनकार कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने Election Commission of India (ECI) को निर्देश दिया कि जिन मतदाताओं का नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से बाहर कर दिया गया है, वे अपने क्लेम ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से जमा कर सकें। साथ ही कोर्ट ने कहा कि आधार कार्ड (Aadhaar Card) या अन्य 11 वैध दस्तावेजों के आधार पर मतदाताओं को लिस्ट में शामिल किया जाए।
65 लाख वोटरों को लेकर चिंता
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की दो-न्यायाधीशों वाली पीठ ने राजनीतिक दलों को आदेश दिया कि वे उन 65 लाख लोगों की मदद करें जिनके नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए हैं। सभी पार्टियों को अगली सुनवाई तक यह स्टेटस रिपोर्ट भी देनी होगी कि उन्होंने कितने लोगों के क्लेम फॉर्म भरवाने में मदद की।
ECI ने मांगा समय, कोर्ट ने जताई नाराज़गी
सुनवाई के दौरान ECI ने कहा कि उसे 15 दिन का समय दिया जाए ताकि वह साबित कर सके कि किसी को गलत तरीके से बाहर नहीं किया गया है। आयोग ने दावा किया कि अब तक 85,000 लोग क्लेम फॉर्म जमा कर चुके हैं और 2 लाख से अधिक नए मतदाता रजिस्ट्रेशन के लिए सामने आए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी हैरानी जताई कि जबकि राज्य में 1.60 लाख से ज्यादा बूथ लेवल एजेंट (BLA) हैं, फिर भी केवल दो आपत्तियाँ ही दर्ज हुईं।
SIR ड्राइव पर राजनीति
बिहार में चुनावी साल में चल रही इस SIR drive ने बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। इस प्रक्रिया के बाद राज्य में वोटरों की कुल संख्या 7.24 करोड़ से घटकर 7.9 करोड़ हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को चुनाव आयोग को आदेश दिया था कि वह 65 लाख बाहर किए गए लोगों की लिस्ट 19 अगस्त तक सार्वजनिक करे, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।