नई दिल्ली. VB-G RAM G Act, 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल चुकी है और इसके साथ ही UPA दौर की ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मनरेगा (MGNREGA) को प्रतिस्थापित कर दिया गया है। ऐसे में कांग्रेस इस मुद्दे को जीवित बनाए रखने और आगे की रणनीति तय करने के लिए शनिवार को नई दिल्ली में होने वाली कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक पर नजर लगाए हुए है।
कांग्रेस के लिए यह जरूरी माना जा रहा है कि वह बीजेपी सरकार के उस फैसले पर तुरंत और मजबूती से प्रतिक्रिया दे, जिसमें पार्टी की ‘marquee achievement’ मानी जाने वाली मनरेगा का नाम बदला गया। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि यह कांग्रेस के लिए मजबूरी भी है और मौका भी। मजबूरी इसलिए क्योंकि मनरेगा की सफलता सीधे तौर पर UPA सरकार की विरासत से जुड़ी रही है, और मौका इसलिए क्योंकि इससे कांग्रेस को सामाजिक न्याय (social justice) के अपने एजेंडे को फिर से धार देने का अवसर मिलता है।
सामाजिक न्याय और आजीविका पर फोकस
2024 लोकसभा चुनावों में आंशिक resurgence के बाद कांग्रेस ने दलितों, OBCs और अल्पसंख्यकों पर अपना फोकस और तेज किया था। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के भाषणों में लगातार यह तर्क दिया गया कि मोदी सरकार की “pro-corporate” और “anti-poor” नीतियों से अमीर और सवर्ण वर्ग को फायदा हुआ है। हालांकि, पार्टी का “vote chori” अभियान अपेक्षित असर नहीं दिखा सका। ऐसे में अब कांग्रेस core livelihood issue यानी ग्रामीण रोजगार और आजीविका पर लौटने की तैयारी में है।
पार्टी का मानना है कि जिन चार राज्यों — पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और असम — में अगले साल चुनाव होने हैं, वहां ग्रामीण आजीविका का मुद्दा चुनावी रूप से ज्यादा असरदार हो सकता है। कांग्रेस का आकलन है कि ग्रामीण जनता की रोज़मर्रा की समस्याओं पर सीधा हमला, चुनाव आयोग या संस्थागत कब्जे (institutional capture) जैसे मुद्दों की तुलना में बीजेपी को ज्यादा असहज करेगा।
विपक्षी एकजुटता की संभावना
VB-G RAM G Act के तहत राज्यों पर वित्तीय बोझ बढ़ने से यह मुद्दा अन्य विपक्षी दलों के साथ साझा मंच बनाने का जरिया भी बन सकता है। इससे 2024 लोकसभा चुनावों के बाद लगभग निष्क्रिय हो चुके INDIA गठबंधन में नई जान पड़ सकती है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) जैसी पार्टियां, जिनसे कांग्रेस के रिश्ते हाल के वर्षों में तनावपूर्ण रहे हैं, भी इस मुद्दे पर साथ आ सकती हैं। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में TMC सरकार ने अपनी ग्रामीण रोजगार योजना कर्मश्री का नाम महात्मा गांधी के नाम पर रखा है।
अभियान की तैयारी तेज
संसद से कानून पास होने के बाद बीते एक हफ्ते में पी. चिदंबरम, जयराम रमेश, सलमान खुर्शीद, आनंद शर्मा जैसे पूर्व केंद्रीय मंत्री और पवन खेड़ा, राजीव शुक्ला जैसे वरिष्ठ नेता देशभर में पार्टी का पक्ष रखने निकले। पार्टी सूत्रों के मुताबिक 19 से 22 दिसंबर के बीच करीब 50 प्रेस कॉन्फ्रेंस की गईं। 20 दिसंबर को कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी वीडियो संदेश जारी कर मनरेगा पर बीजेपी सरकार के “हमले” का जवाब देने की बात कही।
एक CWC सदस्य ने कहा, “अगर हम सरकार पर पर्याप्त दबाव बना पाए, तो यह ऐसा मुद्दा है जिस पर सरकार को पीछे हटना पड़ सकता है।”
चुनौतियां भी बरकरार
हालांकि, पार्टी नेताओं ने माना कि कांग्रेस कोई cadre-based संगठन नहीं है और कम समय में बड़े पैमाने पर mobilise करना उसके लिए कठिन रहा है। इसके अलावा, नोटबंदी, GST सुधार और राफेल जैसे मुद्दों पर भी पार्टी लंबे समय तक momentum बनाए रखने में सफल नहीं रही।
कांग्रेस फिलहाल Special Intensive Revision (SIR) of electoral rolls और “vote chori” के मुद्दे को पूरी तरह छोड़ नहीं रही है, लेकिन बिहार विधानसभा चुनावों में इसे ज्यादा समर्थन नहीं मिला। यही वजह है कि अब पार्टी का रुख VB-G RAM G Act के खिलाफ व्यापक अभियान की ओर है। एक नेता ने कहा, “हमें उम्मीद है कि हम इस मुद्दे पर दबाव बनाए रख पाएंगे और इसी उम्मीद के साथ शनिवार को बैठक हो रही है।”
