शिमला. हिमाचल प्रदेश में हर रोज करीब 60 लोग ऑनलाइन ठगी का शिकार हो रहे हैं. साइबर अपराधी लोगों को सस्ते लोन, बिजली के बिलों और फास्ट टैग के नाम पर ठग रहे हैं. नेशनल क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो पोर्टल और टोल फ्री नंबर 1930 पर साइबर अपराध के शिकार लोग शिकायतें कर रहे हैं.
एएसपी (ASP) भूपिंद्र सिंह नेगी ने कहा पिछले कुछ समय से साइबर अपराध का ग्राफ बढ़ा है. शातिर नए तरीकों का इस्तेमाल कर लोगों को ठग रहे हैं. पैन कार्ड बनाने से लेकर क्रेडिट कार्ड के प्वाइंट रिडिम करने, ओटीपी शेयर करने, लोन देने के लिए साक्षात्कार करवाने के नाम पर लिंक भेजकर ठगी की जा रही है.
उन्होंने बताया कि करीब 400 ऐसी एप्लीकेशन हैं जो फर्जी हैं. इनके लिंक लोगों को भेजे जा रहे हैं. लोग भी इनके झांसे में आकर लोन और अन्य चीजों के लिए आवेदन कर देते हैं. ऐसे में उनके एकाउंट से पैसे कटने शुरू हो जाते है.
उम्रदराज हो रहे ठगी का शिकार
हिमाचल में ज्यादातर उम्रदराज के लोग ऑनलाइन ठगी का शिकार हो रहे हैं. शातिर महिलाएं पहले बुजुर्गों के साथ व्हाट्सएप पर चैट करते हैं. फिर धीरे-धीरे उन्हें अपने जाल में फंसाते हैं. और फिर पैसा मांगना शुरू कर देते है.
ऐसा न करने पर वह तस्वीरें या व्हाट्सऐप पर की गई बात परिवार के सदस्यों के साथ साझा करने की धमकियां देते हैं.
सोशल मीडिया पर टू-फैक्टर ऑथेंटिफिकेशन जरूरी
साइबर विशेषज्ञ हितेश लखनपाल ने बताया कि जी-मेल, फेसबुक या अन्य सोशल मीडिया मंचों पर बेहतर सुरक्षा के लिए टू-फैक्टर ऑथेंटिफिकेशन जरूरी है. ऑनलाइन गेम खेलते वक्त अपनी गोपनीयता बनाए रखें और अपनी आईडी किसी से शेयर न करें.
अपना एटीएम कार्ड नंबर, सीवीवी या अन्य जानकारी किसी से शेयर न करें. उन्होंने बताया कि फेक जॉब ऑफर और कम दरों पर कर्ज के झांसे में न आएं. स्मार्टफोन में जीयो-टैगिंग को ऑन न रखें. जो मोबाइल एप आप उपयोग नहीं कर रहे, उन्हें फोन से डिलीट कर दें.