शिमला. हिमाचल प्रदेश पंचायत चौकीदार यूनियन, कृषक मित्र और एसएमसी नॉन ग्रांट यूनियन का एक प्रतिनिधिमंडल आज मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से मिलने शिमला पहुंचा. अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ की वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुनीता ठाकुर के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने सरकार से अपनी मांगों को शीघ्र पूरा करने की मांग की.
सुनीता ठाकुर ने कहा कि प्रदेश भर की 3226 पंचायतों में तैनात पंचायत चौकीदार के वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं. लेकिन आज तक इनके लिए कोई भी पॉलिसी नहीं बनाई गई. जबकि दूसरी तरफ वॉटर गार्ड के लिए पॉलिसी बना दी गई है. इन्होने वाटर गार्ड की तर्ज पर ही पंचायत चौकीदारों के लिए पॉलिसी बनाने की मांग की थी.
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इन सभी को वित्तीय लाभ देने की घोषणा की थी. यह लाभ इन्हें सितम्बर माह से दिया जाना था. लेकिन अभी तक इस बाबत नोटिफिकेशन ही जारी नहीं की गई है. यही स्थिति कृषक मित्रों के साथ भी है. पूर्व में सभी 3243 ग्राम पंचायतों में कृषक मित्र तैनात किए गए थे. यह लगातार बिना वेतन के अपनी सेवाएं दे रहे हैं लेकिन इन्हें वेतन नहीं दिया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि पूर्व में यह कृषक मित्र केंद्र की योजना के तहत 90:10 की फंडिंग पर थे. जिसे बाद में 50:50 के अनुपात में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा फंड दिया जा रहा है. लेकिन जब वेतन की बात की जाती है तो कहा जाता है कि इनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई है. जबकि इस बारे में कोई अधिसूचना जारी नहीं कि गई है.
सुनीता ठाकुर ने कहा है कि यदि ऐसा है तो इनकी सेवाओं को तुरंत बहाल किया जाए और इन्हें वेतन भी प्रदान किया जाए. सुनीता ठाकुर ने पंचायती राज सचिव ओंकार शर्मा से भी आग्रह किया कि इन साढ़े 6 हजार कर्मचारियों के हित में जल्द फैसला लें ताकि इन्हें वित्तीय लाभ भी मिल सके.
वहीं एसएमसी नॉन ग्रांट इन एड शिक्षकों को भी नियमित ग्रांट इन एड जारी की जाए. उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग इनका इस्तेमाल कर रहा है जैसे ही इनके स्थान पर नियमित शिक्षक आते हैं इनकी सेवाएं समाप्त की जाती है जो सरासर गलत है.
सुनीता ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री कई बार निर्देश दे चुके हैं लेकिन शिक्षा निदेशक मुख्यमंत्री के आदेशों को भी अनसुना कर देते हैं. इस कारण प्रदेश भर में तैनात करीब एक हजार एसएमसी शिक्षकों का भविष्य अधर में लटका है.