नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने लिंग निर्धारण और उससे जुड़ी सामग्री के प्रकाशन, विज्ञापन संबधी सभी चीजों को इंटरनेट सहित सभी माध्यमों से हटाने पर शख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी को आदेश दिया है कि इंटरनेट कंपनियों गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, याहू जैसी तमाम धारकों की बैठक बुलाकर छह हफ्ते के अंदर सेक्स निर्धारण संबंधी सामग्री का प्रकाशन हटाया जाए.
कोर्ट ने इससे पहले भी फरवरी माह में भी इन कंपनियों को आदेश दिया था कि वह विशेषज्ञों की समिति गठित करके यह तय करें कि प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण से संबंधित तमाम सामग्री को हटा लें, 2006 को भी सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में साइट्स से ऐसी कंटेट हटाने का आदेश दिया था.
यह मामला सभी सर्च इंजनों पर प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण से संबंधित विज्ञापन दिखाए जाने से जुड़ा है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन सर्च इंजनों पर इस तरह के तमाम विज्ञापन मौजूद रहते हैं, जिससे लिंग परीक्षण को बढ़ावा मिलता है. जबकि भारत में प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण करना अपराध है.